विषम राशि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चन्द्रमा विषम राशि में और बुध सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हों तो भी यह योग बनता है।
- परन्तु पुरुष ग्रह सम राशि और नवांश में तथा स्त्री ग्रह विषम राशि और नवांश में कोई बल प्राप्त नहीं करते है .
- विषम राशि उन्हें माना जाता है जो प्रथम , तृतीय , पंचम , नवम एवं एकादश भाव में स्थित होते हैं .
- लग्न व चन्द्र विषम राशि के हों एवं मंगल सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हो तो जातक नपुंसक होता है।
- इसी प्रकार बुध विषम राशि में हो और शनि सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हों तो जातक नपुंसक होता है।
- मंगल विषम राशि में और सूर्य सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट हो तो भी इस योग के बनने की संभावना रहती है।
- जन्म कुण्डली में यदि कोई ग्रह विषम राशि में स्थित है तो ग्रह की गणना वहीं से आरम्भ होगी जहाँ वह स्थित है .
- जैमिनी जी के अनुसार सूर्य विषम राशि में हो और चन्द्रमा सम राशि में हो और परस्पर दृष्ट हों तो नपुंसक योग बनता है।
- यहां चन्द्रमा विषम राशि में हाने से 15 अंक प्राप्त करता है और नवमांश स्त्री अर्थात कर्क होने से 15 अंक प्राप्त करते है।
- यहां चन्द्रमा विषम राशि में हाने से 15 अंक प्राप्त करता है और नवमांश स्त्री अर्थात कर्क होने से 15 अंक प्राप्त करते है।