वैषयिक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चारण भाटों का रचना कर्म ऐतिहासिक सूचना स्रोत के रूप में अगर खरा नहीं उतरता तो इसके लिए इतिहास के वैषयिक अनुशासन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता ! इस परिप्रेक्ष्य में इतिहास की निर्ममता , प्रमाण-लाचार , तथ्य-शुष्क पाठ्यक्रम के संकेत भी अपनी असहमति के बिंदु माने जायें !
- वारांगनाओं की काम-लीलाएँ बहुत देख चुके , खूब सैर सपाटे किये ; परन्तु यह सच्चा आनन्द और यह सुखद उत्साह , जो इस समय तुम अनुभव कर रहे हो तुम्हें कभी और भी प्राप्त हुआ था ? मनमोहनी वेश्याओं के संगीत और सुन्दरियों का काम-कौतुक तुम्हारी वैषयिक इच्छाओं को उत्तेजित करते है।
- भारतीय जी सोचते हैं कि वैषयिक संबंधों के अतिरेक के कारण , पूछने की इच्छा होती है कि “ हर टोला नियमित , व्यवस्थित और खुले रूप से , अनैतिकता का अड्डा ही है क्या ? ” और नागर जी का कहना है कि “ गर्ज यह कि सब किसी-न-किसी से फँसे हैं ” ।
- मगर मेरे विचार से ये समस्या व्यवस्था या सिस्टम कि है , जिसका मूल कारण अज्ञानता है (यहाँ अज्ञान से मेरा तात्पर्य वैषयिक शिक्षा से कतई नहीं है ) तथापि इस समस्या का निवारण शिक्षा के मौलिक मूल्यों (जो स्वतंत्रता और अभय में निहित है ) के द्वारा मानव चित्त का विकास कर संभव है .
- 2 वैषयिक नजरिया- शोधकर्ता में इस गुण के न होने से उसे वास्तविक घटनाओं को सही रूप में देखने में असफलता मिलेगी वैषयिक दृष्टिकोण के अभाव का तात्पर्य यह होगा कि शोध कार्य भेद भाव और झूठ से प्रभावित हैं यह नजरिया सत्य निष्कर्ष के लिए भी आवश्यक होता है क्योंकि इसके बिना निरीक्षण परीक्षण की क्रिया विकृत हो जाने की संभावना के साथ सत्यता की जांच भी कठिन हो जाती है।
- 2 वैषयिक नजरिया- शोधकर्ता में इस गुण के न होने से उसे वास्तविक घटनाओं को सही रूप में देखने में असफलता मिलेगी वैषयिक दृष्टिकोण के अभाव का तात्पर्य यह होगा कि शोध कार्य भेद भाव और झूठ से प्रभावित हैं यह नजरिया सत्य निष्कर्ष के लिए भी आवश्यक होता है क्योंकि इसके बिना निरीक्षण परीक्षण की क्रिया विकृत हो जाने की संभावना के साथ सत्यता की जांच भी कठिन हो जाती है।
- 2 वैषयिक नजरिया- शोधकर्ता में इस गुण के न होने से उसे वास्तविक घटनाओं को सही रूप में देखने में असफलता मिलेगी वैषयिक दृष्टिकोण के अभाव का तात्पर्य यह होगा कि शोध कार्य भेद भाव और झूठ से प्रभावित हैं यह नजरिया सत्य निष्कर्ष के लिए भी आवश्यक होता है क्योंकि इसके बिना निरीक्षण परीक्षण की क्रिया विकृत हो जाने की संभावना के साथ सत्यता की जांच भी कठिन हो जाती है।
- 2 वैषयिक नजरिया- शोधकर्ता में इस गुण के न होने से उसे वास्तविक घटनाओं को सही रूप में देखने में असफलता मिलेगी वैषयिक दृष्टिकोण के अभाव का तात्पर्य यह होगा कि शोध कार्य भेद भाव और झूठ से प्रभावित हैं यह नजरिया सत्य निष्कर्ष के लिए भी आवश्यक होता है क्योंकि इसके बिना निरीक्षण परीक्षण की क्रिया विकृत हो जाने की संभावना के साथ सत्यता की जांच भी कठिन हो जाती है।
- वह प्रधान-मन्त्रीत्व किस काम का , जिसमें अपने वैषयिक वैभव के लिये अपनी आत्मा को विधर्मी राजा के हाथों गिरवीं रख देना पड़े ? वह वैभव सुख-सम्पत्ति और मान-सम्मान किस काम का , जिसमें अपनी नैसर्गिक प्रवृत्ति को विकास का अवसर न मिले ? वह जीवन किस काम का , जिसके आन्तरिक और बाह्य स्वरूपों में दिन और रात के अन्तर को कम करने का कोई उपाय ही न हो ? वे इस विषम स्थिति से परित्राण पाने का उपाय खोजने लगे।
- ' ( कामनाशून्य ब्रह्म विद्वरिष्ठ का आनन्द और ब्रह्म का आनन्द एक ही है ) और स्मृति भी है - ' यच्च कामसुखं लोके ' ( लोक में जो वैषयिक सुख है और जो महान् स्वर्गीय सुख है , वे दोनों तृष्णाक्षय से उत्पन्न परमानन्द की सोलहवीं कला को भी प्राप्त नहीं होते ) उक्त सम्पूर्ण सुख पुरुषप्रयत्न से ही प्राप्त हो सकता है , अन्य से ( दैव आदि से ) नहीं , इसलिए पुरुष को प्रयत्न पर ही निर्भर रहना चाहिए।।