शफ़क़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ऐन उसी वक्त वहां का सूबेदार नासिर अपने हवा की तरह तेज घोड़े पर सवार उधर से निकला , ऊपर निगाह उठी तो हुस्न का करिश्मा नजर आया कि जैसे चांद शफ़क़ के हौज में नहाकर निकला है।
- ऐन उसी वक्त वहां का सूबेदार नासिर अपने हवा की तरह तेज घोड़े पर सवार उधर से निकला , ऊपर निगाह उठी तो हुस्न का करिश्मा नजर आया कि जैसे चांद शफ़क़ के हौज में नहाकर निकला है।
- ऐन उसी वक्त वहां का सूबेदार नासिर अपने हवा की तरह तेज घोड़े पर सवार उधर से निकला , ऊपर निगाह उठी तो हुस्न का करिश्मा नजर आया कि जैसे चांद शफ़क़ के हौज में नहाकर निकला है।
- ज़रा उतारो गरूर सारा ये चाँद जिसपे चढ़ा हुआ है उधार की रोशनी लिए ये , उधारी सर पे चढ़ी हुई सी करे गुज़ारिश मिलो इन्हें तुम, धनक, शफ़क़ ज़ुगनू कहकशां सब मेरे अलाबा कुछ और भी हैं, है आस जिनको लगी हुई सी
- रा पोर्ट्रेट सा खींच देते हैं- “ शब की दहलीज़ पर शफ़क़ है लहू / फिर हुआ क़त्ल आफ्ताब कोई ” या ” फिर बूँद जब थी बादल में ज़िन्दगी थी हलचल में / कै़द अब सदफ़ में है बनके है गुहर तन्हा ।
- उसी शफ़क़ की एक समूची रंगशाला है - “ अर्गला ” . ' शिखर ' के रँगों में ढले साहित्यिक कृतिकारों के अंश उस क्षितिज पर हैं जहाँ अनुभूति , अनुभव और सृजनशीलता की समूची रँगीनियाँ संज़ीदगी , रूमानियत , मधुरतम छवियाँ मौज़ूद हैं .
- ये शेर देखें जिनमे वे दो मिसरों में पूरा पोर्ट्रेट सा खींच देते हैं- “शब की दहलीज़ पर शफ़क़ है लहू / फिर हुआ क़त्ल आफ्ताब कोई” या “फिर बूँद जब थी बादल में ज़िन्दगी थी हलचल में/ कै़द अब सदफ़ में है बनके है गुहर तन्हा ।”
- इन छवियों के रंग बिलकुल वैसे ही हैं मसलन शफ़क़ के रंग बिरँगे बादल जो इंसानी , मायावी दुनिया के समंदर में आहिस्ते आहिस्ते घुलते भी हैं और फिर, फिर वही रंग उस क्लांत जल राशियों से ताज़गी और नवीनता लिए पुन: शिखर के रँगीन बादलों की सुंदर छटा बनकर बिखर जाते हैं.
- उस ने रूख़ से हटा के बालों को रास्ता दे दिया उजालों को जाते जाते जो मुड़ के देख लिया और उलझा दिया ख़यालों को एक हल्की सी मुस्कुराहट से उस ने हल कर दिया सवालों को मर गए हम तो देख लेना ‘शफ़क़ ' याद आएंगे हुस्न वालों को -सय्यैद शफ़क़ शाह चिश्ती
- Tweet उस ने रूख़ से हटा के बालों को रास्ता दे दिया उजालों को जाते जाते जो मुड़ के देख लिया और उलझा दिया ख़यालों को एक हल्की सी मुस्कुराहट से उस ने हल कर दिया सवालों को मर गए हम तो देख लेना ‘ शफ़क़ ' याद आएंगे हुस्न वालों को -सय्यैद शफ़क़ शाह चिश्ती