शाकी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- याद नहीं टूटे सपनों की कोई मुराद नहीं सोचते थे पैरों की जमीन है बाकी बिखरे रिश्तों में कहीं कोई महक है शाकी आँधियों में भी जो जलता रहा सम्बन्ध , दिया अंधेरों में भी जो भटका नहीं जुगनूं सा जिया सोचता हूँ
- लेकिन संध्या सात बजे से कोई इनके समीप से बात नहीं कर सकता हैं - कहते हैं शाकी और शबाब के सौकीन हैं तभी अंतरात्मा की आवाज जुवान पर आ गयी और बोल उठे “ पत्नी जब पुरानी हों जाती है तो मजा नहीं देती है .
- शाकी ने तोड़ दिया रिश्ता शराब से रिश्ता लगाली मैंने महफिल से उठा घर अपना शराबखाने मे बसाली मैंने परवाने तो मडराएंगे ही जहां शमा फिर जलेंगे जले हुए दिल को अपनी शराब से बुझाली मैंने बोतल मे भरी शराब की औकाद ही क्या है यारों देखना था रंग उसकी तो हलक मे उतारली मैंने …
- ref > रतन लाल मिश्र : शेखावाटी का नवीन इतिहास , मंडावा , 1998 , पृ .90 / ref > : “ स्वस्ति संवत 1516 आषाढ़ सुदी पांच भोमवासरे [[ Jhunjhunu | झुंझुनूं ]] शुभ स्थाने [[ Shaka | शाकी ]] भूपति प्रजापालक समस्खान विजय राज्ये | ” वाकयात कौम कायमखानी के अनुसार शम्सखां ने एक तालाब बनवाया जो आज भी शम्स तालाब के नाम से प्रसिद्ध है .
- जमानेसे रिश्ते नाते सब तोड आया हुं मैं जमानेसे शाकी आज न जाने दे तु मुझे मयखानेसे॥ हमें पीलाना तु कभी कभी सुरमई आंखोसे अच्छा हे सबको तु पीलाती रहे पयमानेसे॥ किसे याद रखुं मैं ? किसे भुल जाऊं यहां? जाने पहेचाने लोग भी लगते है अंजानेसे॥ जब बात निकलेगी तो दूर तलक तो जायेगी ले रहे हे लोग मजा हमारे एक अफसानेसे॥ ऐसी चली हवा, बदल गया मंजर तेरे बीना शहरके शहर लगते है अब हमें वीरानेसे॥ जाये तो जाये कहां? समजेगा कौन यहां?
- नीशीत जोशी 12 . 10.11 अब न कोई तमन्ना ना कोई ख्वाईश अब न कोई तमन्ना ना कोई ख्वाईश बाकी है, न शराब,न कोई पयमाना न अब तो शाकी है, मुद्दत हुयी रूठके तो चले गये खडा करा कर मुजे, वही ईन्तजारमे खडे है जहां छोडा मुरजाकर मुजे, न कोई राहगुजर,न कोई हमसायाकी झांकी है, अब न कोई तमन्ना ना कोई ख्वाईश बाकी है, दिलको यह है यकीन लौट आओगे एकदिन वापस, नीहारके तुटा आयना तुट जाओगे एकदिन वापस, उस रोजकी तस्वीर हमने अपने दिलमें आंकी है, पर अब न कोई तमन्ना ना कोई ख्वाईश बाकी है ।