शिगाफ़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शिगाफ़ लिखते हुए और अंत तक आते - आते मेरी धैर्यहीनता की वजह से मुझे कतई विश्वास नहीं था कि एक गैर कश्मीरी की तरफ से लिखे इस उपन्यास को ज़रा भी तवज्जोह मिलेगी .
- मिस्री सेना स्वेज़ नहर के किनारे इस्राईल की बनाई हुई बीस मीटर ऊंची रेत की दीवार में शिगाफ़ डाल कर सीनाई में दाख़िल हो गई और दीवार के पार मौजूद इस्राईली सेना का सफ़ाया कर दिया ।
- शिगाफ़ ' एक साल तक बक्से में बंद रहा मेरे प्रकाशक ने कोई प्रयास किया नहीं , और लोगों ने पढ़ा भी नहीं , लेकिन मेरे लिखे धीरे- धीरे शब्द बाहर आये , और नावेल बाहर आया ..
- मनीषा कुलश्रेष्ठ - तात्कालिक तौर पर बहुत अच्छा लगता है पर मैं उस फीलिंग को अपने कन्धों पर ढोकर नहीं चलती , मैं ये नहीं मानकर चलती कि शिगाफ़ अल्टीमेट है या मैंने कोई महान कृति रच दी ..
- रगों में दर्द है या दर्द ही लहू बन गया है - एक रुबाई याद आ गयी - मिस्रा है- “ रग-रग में जिसके नश्तरे-ग़म के उगें शिगाफ़ , वो क्या बताए दर्द कहाँ है - कहाँ नहीं ! ”
- रावी लिखता है ( उपन्यास) : पुखराज जांगिड़साहित्य और विज्ञान - कथाएँ : मनीष एम गोरे हम देखेंगे : जश्न-ए-फैज़ : रिजवानुल हक शिगाफ़ : सुमन केशरीकई चाँद थे सरे आसमां : गोपाल प्रधान बाज़ार और साहित्य : प्रभात कुमार मिश्रसमकालीनता और देवीशंकर अवस्थी :
- अब सम्मान तो एक ही रचना को मिल सकता है , किन्तु भगवान दास मोरवाल का उपन्यास काला पहाड , और मनीषा कुलश्रेष्ठ का उपन्यास शिगाफ़ हमें हमेशा अपनी याद दिलाता रहेगा कि कई बार एक से अधिक महत्वपूर्ण रचनाएं प्राप्त होने से निर्णय लेने में कितनी कठिनाई होती है।
- मनीषा कुलश्रेष् ठ का उपन् यास शिगाफ़ पढ़ते हुए मेरी आँखों के आगे बार बार मंझोले कद का गोरा चिट्टा , दुबला - पतला लड़का क् यों आ खड़ा होता है , जो 1999 - 2000 के आस पास कश् मीरी विस् थापितों के लिए चंदा मांगने आता था - हम कैंप में रह रहे हैं ..
- ' कठपुतलियाँ ' ' शालभंजिका ' ' केयर ऑफ़ स्वात घाटी ' ' बौनी होती परछाई ' , ' गन्धर्व-गाथा ' जैसे कहानी संग्रह , लघु उपन्यास और ' शिगाफ़ ' जैसे चर्चित उपन्यास से साहित्यजगत में बहुत ही कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी सहज , सरल , सहृदय और विनम्र कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ से कहीं ना कहीं कविता-पाठ में अक्सर मुलाकात हो जाती है .
- ' कठपुतलियाँ ' ' शालभंजिका ' ' केयर ऑफ़ स्वात घाटी ' ' बौनी होती परछाई ' , ' गन्धर्व-गाथा ' जैसे कहानी संग्रह , लघु उपन्यास और ' शिगाफ़ ' जैसे चर्चित उपन्यास से साहित्यजगत में बहुत ही कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी सहज , सरल , सहृदय और विनम्र कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ से कहीं ना कहीं कविता-पाठ में अक्सर मुलाकात हो जाती है .