शुंठी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जलमय शोथ : पुनर्नवा की जड़ , चिरायता और शुंठी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर रख लें , फिर इस मिश्रण को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर 400 मिलीलीटर पानी में पकायें , जब यह एक चौथाई भाग शेष बचे तो बचा हुआ काढ़ा पीने से जलमय शोथ ( सूजन ) में लाभ होता है।
- किरातिक्त के पंचांग ( पत्ता , तना , फल , फूल और जड़ ) , गुडूची का तना , रक्त ( लाल ) चंदन काष्ठ और शुंठी आदि को बराबर मात्रा में लेकर बने काढ़े का़ 14 से 28 मिली लीटर की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करने से चौथे दिन आने वाला बुखार समाप्त हो जाता है।
- पटोल के पत्ते , निम्ब के पत्ते , असन की लकड़ी , पाठा पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) , मूर्वामूल , गुडूचौतना , कटुकी प्रकन्द और शुंठी को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें , इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर को खुराक की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम पीने स्तनों के दूध की खराबी दूर हो जाती है।
- चतुर्थकज्वर ( हर चौथे दिन पर आने वाला बुखार ) : वासा मूल , आमलकी और हरीतकी फल मिश्रण , शालपर्णी पंचांग ( शालपर्णी की तना , पत्ती , जड़ , फल और फूल ) , देवदारू की लकड़ी और शुंठी आदि को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें , फिर इस काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर 5 से 10 ग्राम शर्करा और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लें।
- चिरायता , शुंठी , देवदारू की लकड़ी , पाठा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) , मुस्तक की जड़ , मूर्वा , सारिया की जड़ , गुडूचीतना , इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें , फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।
- चिरायता , शुंठी , देवदारू की लकड़ी , पाठा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) , मुस्तक की जड़ , मूर्वा , सारिया की जड़ , गुडूचीतना , इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें , फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।