संप्रदान कारक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आदर्श भोजपुरी में संप्रदान कारक का प्रत्यय “ लागि ” है परंतु वाराणसी की पश्चिमी भोजपुरी में इसके लिये “ बदे ” या “ वास्ते ” का प्रयोग होता है।
- उदाहरण के लिए संप्रदान कारक का अर्थ ” कु ' उपसर्ग से निकलता हैं , यथा कुति ( हमको ) , कुनि ( उनको ) , कुजे ( उसको ) ।
- राजस्थानी की वाक्यरचनागत विशेषताओं में प्रमुख उक्तिवाचक क्रिया के कर्म के साथ संप्रदान कारक का प्रयोग है , जबकि हिन्दी में यहाँ ' करण या अपादान ' का प्रयोग देखा जाता है।
- इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए ' और ‘गुरुजी को' संप्रदान कारक हैं।5. अपादान कारकसंज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।
- ( 14) राजस्थानी की वाक्यरचनागत विशेषताओं में प्रमुख उक्तिवाचक क्रिया के कर्म के साथ संप्रदान कारक का प्रयोग है, जबकि हिंदी में यहाँ “करण या अपादान” का प्रयोग देखा जाता है1“या बात ऊँनै कह दो” (यह बात उससे कह दो)।