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सन-सन का अर्थ

सन-सन अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. उसने कलम के पिछले हिस् से से कान के ऊपर खुजलाया , खूब आँखें गड़ाकर जमा और खर्च के खानों को देखने की कोशिश की , लेकिन बस नस-नस में सन-सन करती कोई चीज दौड़े जा रही थी।
  2. हो शास्त्रों का झन-झन-निनाद , दन्तावल हों चिंग्घार रहे , रण को कराल घोषित करके हों समरशूर हुङकार रहे , कटते हों अगणित रुण्ड-मुण्ड, उठता होर आर्त्तनाद क्षण-क्षण , झनझना रही हों तलवारें; उडते हों तिग्म विशिख सन-सन .
  3. हठकर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला सिलवा दे मुझे भी ऊन का मोटा एक झिंगोला सन-सन चलती हवा रात भ् ार जाड़े में मरता हूं ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह से यात्रा पूरी करता हूं
  4. दो बार उसने गुरुजी से यह प्रश्न किया भी था परन्तु उन्होंने यही कह कर टाल दिया कि बच्चा , ईश्वर की महिमा कोई बड़ा भारी और बलवान घोड़ा है , जो इतनी गाडियों को सन-सन खींचे लिए जाता है।
  5. रोते समय फव्वारे-सी होती हैं सहमी हों तो बिल्ली से डरे कबूतर जैसी खामोश होती हैं तो सरोवर में शांत पानी-सी लगती हैं गुनगुनाती हैं तो हौले-हौले बहती बयार की ‘ सन-सन ' बन जाती हैं बेचैन होती हैं दरिया के वेग-सी लगती हैं ख़रमस्तियाँ करते हुए समुन्दर की लहरें बन जाती हैं
  6. हठकर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला सिलवा दे मुझे भी ऊन का मोटा एक झिंगोला सन-सन चलती हवा रात भ्ार जाड़े में मरता हूं ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह से यात्रा पूरी करता हूं यह कविता यूपी की प्राइमरी क्लासों में लगी थी कभी , आज लगती है या नहीं, पता नहीं।
  7. हठ कर बैठा चांद एक दिन , माता से यह बोला सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही को भाड़े का बच्चे की सुन बात , कहा माता ने ‘
  8. तेज हवा की सन-सन सुर लहरी पर उड़ती खड़खड़ाती ये पत्तियां रहस्यमय पंचम ( हाई औक्टेव) सुर साध लेती हैं और चारो तरफ कुशल नृत्यांगनाओं-सी थिरकती-फिसलती कोना-कोना ढकती गिर पड़ती हैं, मानो प्रकृति का स्वान-सौंग गा रही हों (कहते हैं कि हंसों को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता है और हंसिनी के वियोग से दुखी हंस, मरने से पहले बहुत ही सुन्दर व अति मार्मिक अंतिम नृत्य करता है )।
  9. तेज हवा की सन-सन सुर लहरी पर उड़ती खड़खड़ाती ये पत्तियां रहस्यमय पंचम ( हाई औक्टेव ) सुर साध लेती हैं और चारो तरफ कुशल नृत्यांगनाओं-सी थिरकती-फिसलती कोना-कोना ढकती गिर पड़ती हैं , मानो प्रकृति का स्वान-सौंग गा रही हों ( कहते हैं कि हंसों को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता है और हंसिनी के वियोग से दुखी हंस , मरने से पहले बहुत ही सुन्दर व अति मार्मिक अंतिम नृत्य करता है ) ।
  10. ओ शल्य ! हयों को तेज करो , ले चलो उड़ाकर शीघ्र वहां , गोविन्द-पार्थ के साथ डटे हों चुनकर सारे वीर जहां . ” ” हो शास्त्रों का झन-झन-निनाद , दन्तावल हों चिंग्घार रहे , रण को कराल घोषित करके हों समरशूर हुङकार रहे , कटते हों अगणित रुण्ड-मुण्ड , उठता होर आर्त्तनाद क्षण-क्षण , झनझना रही हों तलवारें ; उडते हों तिग्म विशिख सन-सन . ” ” संहार देह धर खड़ा जहां अपनी पैंजनी बजाता हो , भीषण गर्जन में जहां रोर ताण्डव का डूबा जाता हो .
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