सर्वाधिकारी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रशिक्षण शिविर के सर्वाधिकारी डॉ . जयंती भाई भडेसिया ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि इस बार विदेशों से 7 स्वयंसेवक शामिल हुए हैं।
- गुजरात के प्रांत संघचालक डॉ . जयंतीभाई भाडेसिया इस तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी , जोधपुर के प्रांत कार्यवाह जसवंत खत्री कार्यवाह और रा .
- संघ शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी डॉ . जयंतीभाई भाडेसिया , वर्ग के कार्यवाह जसवंत खत्री एवं वर्ग के पालक अधिकारी डॉ . मनमोहन वैद्य मंच पर उपस्थित थे।
- मंच पर विशेष शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी श्रीकृष्ण सिंघल एवं वर्गाधिकारी श्री मालेंदु प्रताप उपस्थित थे | मंचासीन अधिकारियों का परिचय वर्ग के कार्यवाहक लालराम ने कराया |
- अतएव गांधी तथाकथित प्रजातन्त्रवादियों को ललकारते हैं कि या तो उन्हेंस्पष्ट रूप से अपने को सर्वाधिकारी घोषित कर देना चाहिए या सही अर्थ मेंप्रजातन्त्र को स्वीकार करना चाहिए जिसके लिए उन्हें साहसपूर्वक अहिंसकबनना पड़ेगा .
- यह उस बदले हुए वैचारिक परिदृश्य को भी दिखाता है जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व करने वाली और विभिन्न राष्ट्रीयताओं तथा समाजों के एक संघ की प्रतिनिधि सरकार एक सर्वाधिकारी केन्द्रीय सत्ता में तब्दील हो गयी है .
- यह उस बदले हुए वैचारिक परिदृश्य को भी दिखाता है जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व करने वाली और विभिन्न राष्ट्रीयताओं तथा समाजों के एक संघ की प्रतिनिधि सरकार एक सर्वाधिकारी केन्द्रीय सत्ता में तब्दील हो गयी है .
- सृष्टि के तथाकथित रचयिता की चर्चा करते हुये तथागत ने भारद्धाज और वासेठ्ठ से कहा - “ मित्रों ! जिस प्राणी ने पहले जन्म लिया था वह अपने बारे मे सोचने लगा कि मै ब्रहमा हूँ , विजेता हूँ , निर्माता हूं , अविजित हूँ , सर्वाधिकारी हूँ , मालिक हूँ , निर्माता हूँ , रचयिता हूँ, व्यवस्थापक हूँ, आप ही अपना स्वामी हूँ , और जो हैं तथा वे जो भविष्य में पैदा होने वाले हैं , उन सब का पिता हूँ ।
- सृष्टि के तथाकथित रचयिता की चर्चा करते हुये तथागत ने भारद्धाज और वासेठ्ठ से कहा - “ मित्रों ! जिस प्राणी ने पहले जन्म लिया था वह अपने बारे मे सोचने लगा कि मै ब्रहमा हूँ , विजेता हूँ , निर्माता हूं , अविजित हूँ , सर्वाधिकारी हूँ , मालिक हूँ , निर्माता हूँ , रचयिता हूँ, व्यवस्थापक हूँ, आप ही अपना स्वामी हूँ , और जो हैं तथा वे जो भविष्य में पैदा होने वाले हैं , उन सब का पिता हूँ ।
- सृष्टि के तथाकथित रचयिता की चर्चा करते हुये तथागत ने भारद्धाज और वासेट्ठ से कहा , “ मित्रों ! जिस प्राणी ने पहले जन्म लिया था , वह अपने बारे मे सोचने लगा कि मै ब्रह्म हूँ , विजेता हूँ , निर्माता हूं , अविजित हूँ , सर्वाधिकारी हूँ , मालिक हूँ , निर्माता हूँ , रचयिता हूँ , व्यवस्थापक हूँ , आप ही अपना स्वामी हूँ और जो हैं तथा वे जो भविष्य में पैदा होने वाले हैं , उन सब का पिता हूँ , मैं ही इन सब प्राणियों को उत्पन्न करता हूँ . ”