साँय साँय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- किसी भी बात पर घर के मुखिया ने न रोका , न टोका न घुड़का न झरड़का जबकि रात खुला छूट गया लोहे का खिड़का बच्चों ने स्कूल से आकर नहीं की कोई नई फरमाइश बैठ गये पढ़ने तो पढ़ते ही चले गये औरत के मन में उठ रहा है खुड़का , सब ठीक तो है न ! उसे आदत पड़ गई है आसपास काँय काँय होती रहे इस तरह की मनहूस साँय साँय कैसे सहेगी वह !
- कुहासे से लदी है सुबह कारनामे सभी रात के छिप गए हैं भारी नमी के धुँधलके में सड़क पर साँय साँय बढ़ता चला है हम जानते हैं कि यह एक आधुनिक शहर है ऐसे में कोई चला समंदर में कश्ती सा सुबह सुबह अखबार बाँटने या कि दूधवाला है या औरत जिसे चार घरों की मैल साफ करनी है कुहासे को चीरते चले चले हैं कोई नहीं देख पाता उन्हें कुहासा जब नहीं भी होता है हिलते डुलते धब्बे दिखते हैं दूर तक।
- बसेरा अपने समय में समाज में खड़े रह सकने के लिए जड़ हुई हूँ जड़ों से ज़मीन पकड़ी है अपनी उड़ान और गति की बलि दी कि मेरी ड़ाल पर फूल उगे फल लगे आसमान के एक छोटे से टुकड़े पर अपनी शाखायें ड़ाल खुश होती हूँ अपनी ऊँचाइयों पर . .. ........... मुझे अपने खड़े रहने का रंज नहीं मिट्टी से जीवन बनाना इसी तरह सँभव है लेकिन मूक सृजन मे एक अजीब बेबसी है मेरी अपनी कोई आवाज़ नहीं है बस हवा की साँय साँय .....
- कौनो घनघोर मजबूरी में , घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में, सुनसान सड़कवा पर एकदम अकेले, कहीं चलल जाय रहे हों,सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न आज तलक कहीं देखे, न सुने...हाँ, भूत परेतन का खिस्सा कहानी में ऐसा विराट वर्णन खूबे सुने रहै और जमकर ओका ठट्ठा भी उडाये रहै ...तब ऊ सिचुएसन मा सबसे पाहिले मुंह में का आएगा???? बड़का से बड़का तोप नास्तिक भी आपै आप बड़बडावे लगैगा ...