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सामंजस्य बनाना का अर्थ

सामंजस्य बनाना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. • देखभाल और चिंता के साथ पृथ्वी हीलिंग • देशी लोग के साथ मिलान • एक पितृसत्तात्मक विश्व में गरीबी पर काबू पाने • गांव और शहर में सामाजिक सामंजस्य बनाना • मन की शांति के लिए खोज में साझा बुद्धि • सभी लोगों के लिए खाद्य और जल सुरक्षित • पीछा न्याय में शांति भवन
  2. ‘चीन के साथ संबंधों का नया अध्याय लिखने को तैयार है भारत ' विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग की भारत यात्रा की पूर्व संख्या पर कहा कि भारत चीन के साथ अपने संबंधों का नया अध्याय लिखने को तैयार है और दोनों देशों को मतभेदों के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में सामंजस्य बनाना चाहिए।
  3. उम्मीद कि लौ तो हम तब भी जलाए रखते हैं , हम तब भी ये चाहते हैं कि सब ठीक हो जाये जब हमें ये पता होता है कि वास्तव में कुछ भी ठीक होने वाला नहीं है...अन्कन्डिशनल लव का मतलब दरअसल ये तमाम उम्मीद और अपेक्षाएं रखने के बावजूद उनके साथ समझौता करना होता है, उनके साथ सामंजस्य बनाना होता है... उस इन्सान के लिये... जिसे हम प्यार करते हैं...
  4. द्वंद्व दुखद है किन्तु इसके जनक हम स्वयं हैं | परिवर्तन तो होगा ही , इसे सहज स्वाभाविक और क्रमिक बनाना हमारी ही जिम्मेदारी है | नया देखकर पुराने को ठुकराना भूल है | नये के साथ पुराने को लेकर चलना सामंजस्य का द्योतक है | सामंजस्य बनाना सुखद है , फ़लदायी है | अत : किशोर और प्रौढ़ मन के बीच सामंजस्य बनाना होगा , जिसके लिए हमें नैतिक मूल्यों की ओर समाज को मोड़ना होगा |
  5. द्वंद्व दुखद है किन्तु इसके जनक हम स्वयं हैं | परिवर्तन तो होगा ही , इसे सहज स्वाभाविक और क्रमिक बनाना हमारी ही जिम्मेदारी है | नया देखकर पुराने को ठुकराना भूल है | नये के साथ पुराने को लेकर चलना सामंजस्य का द्योतक है | सामंजस्य बनाना सुखद है , फ़लदायी है | अत : किशोर और प्रौढ़ मन के बीच सामंजस्य बनाना होगा , जिसके लिए हमें नैतिक मूल्यों की ओर समाज को मोड़ना होगा |
  6. प्रकृति के प्रकोप से बचने का एक ही रास्ता नजर आता है की मानव को प्रकृति के पांच तत्त्व जल , अग्नि , प्रथ्वी , हवा और आकाश के बीच सामंजस्य बनाना बहुत ही जरूरी है , यदि मानव इनमे से किसी के साथ भी खिलवाड़ और दखलंदाजी करता है तो कही सूखा और अकाल तो कही भारी वर्षा और बाढ़ , कही तूफान तो कही भूकंप , कही बेमौसम बारिश तो कही भारी गर्मी जैसे भयंकर परिणाम मानव को भुगतने होंगे ।
  7. प्रकृति के प्रकोप से बचने का एक ही रास्ता नजर आता है की मानव को प्रकृति के पांच तत्त्व जल , अग्नि , प्रथ्वी , हवा और आकाश के बीच सामंजस्य बनाना बहुत ही जरूरी है , यदि मानव इनमे से किसी के साथ भी खिलवाड़ और दखलंदाजी करता है तो कही सूखा और अकाल तो कही भारी वर्षा और बाढ़ , कही तूफान तो कही भूकंप , कही बेमौसम बारिश तो कही भारी गर्मी जैसे भयंकर परिणाम मानव को भुगतने होंगे ।
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