सारिवा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सारिवा की नाज़ुक बेल की तरह इनके देसी मन परदेसी धरती में भी अपनी सम्पूर्ण नाजुकता के साथ पनप रहे हैं . .... कृत्रिम श्रृंगार से दू र. ..
- सारिवा गंगा के उत्तरी मैदानी भाग से लेकर पूरब में बंगाल तक तथा दक्षिण में मध्य प्रदेश से लंका तक लता के रूप में प्रचुरता से पाई जाती है ।
- जब मूत्र की मात्रा कम हो , रंग गहरा हो व शोथ सारे शरीर पर हो तो सारिवा चूर्ण को गोदुग्ध के साथ लेने पर तुरंत आराम मिलता है ।
- घटक द्रव्य : चमेली के पत्ते, नीम के पत्ते, पटोल पत्र, करंज के पत्ते, मोम, मुलहठी, कूठ, हल्दी, दारुहल्दी, कुटकी, मजीठ, पद्माख, लोध, हर्रे, नीलकमल, नीला थोथा, सारिवा, करंज के बीज।
- गहरे कत्थई रंग के पतले सूत्राकार तने पर लगी जिव्हाकार , लम्बी , गहरी हरी पत्तियों में सफ़ेद शिराओं वाले आकर्षक पादप का नाम है सारिवा यानी अनंतमूल यानी Hemidesmus indicus .
- ९ . मृद्वीका(दाख किशमिश) सारिवा (अनंत मूल) लाजा (धान की खील) पिप्पली (पीपल) मधु (शहद), और नागर (सोंठ या नागर मोथा) इनके साथ पकाई गई पेया, पिपासा (प्यास एवं तृष्णा) रोग का नाश करती है,
- सारिवा जड़ा का हिमनिष्कर्ष ( ठण्डे जल में जड़ को रात भर भिगोकर निकाला गया सत्व ) भी 2 से 3 औंस प्रतिदिन दूध के साथ लेने पर तुरंत लाभ देता है ।
- से . , विष)-लाल चन्दन, पद्याख, कूठ, तगर, खस, पाढल को छाल, संभालु, सारिवा तथा रीठा की छाल समान भाग लेकर पानी या घी तथा सिरस की छाल केरस में पीसकर लेप करने से मकड़ी का विष नष्ट होता है.
- सं . )-मुलहठी, तगर, कूठ, देवदारु, रेणुका, नागकेशर, इलायची, एलवा, नीलोफर, मिश्री, विड ग, चन्दन, तेजपत्ता, फूलप्रियंगु, कतृण, हल्दी, दारु-~ हल्दी, कंटाई, दोनों सारिवा, शालपर्णी, इनके कल्क से सिद्ध किया हुआ भीशीघ्र ही सब प्रकार के विष का नाश करता है.
- पुनर्नवा ( पथरचटा-गदहपुरैना ) , सहदेई , सारिवा ( छितवन ) , अनंतमूल , कुरंट ( लाल फूल का पिया बासां ) तथा उत्पल ( नीलकमल ) इन सभी का तेल बनाकर लगाने से सौभाग्य और सुंदरता में वृद्धि होती है . ...........................