सिक्खी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बशंबर दास ने कहा , गुरु जी ! महलों और दुशालों में रहते अथवा अति गरीबी के समय हर हालात में आप जी के चरणों का भरोसा मेरे ह्रदय में ज्यों का त्यों बना रहे | मेरा मन सिक्खी भरोसे से न डोले |
- गुरु अर्जन देव जी महाराज , सिक्ख धर्म के पहले शहीद है ,उनके बाद आज तक यह परंपरा हमारे रगों में खून बनकर प्रवाहित है / और प्रवाहित रहे यही मेरी, सच्चे पातशाह के प्रति, सिक्खी के प्रति , सच्ची श्रद्धांजलि होगी , सच्चा वारिस कहलाने का हक़ प्राप्त होगा -
- ' भाई सुजान निहाल ! ' सच्चे सतिगुरु जी ने वचन किया | सचमुच तुमने गुरु नानक देव जी की सिक्खी को समझा है | गरीबों की सेवा की हैक यही सच्ची सिक्खी है | उठो ! अब श्री आनंदपुर को चलो , हम तुम्हें लेने के लिए आए है | '
- ' भाई सुजान निहाल ! ' सच्चे सतिगुरु जी ने वचन किया | सचमुच तुमने गुरु नानक देव जी की सिक्खी को समझा है | गरीबों की सेवा की हैक यही सच्ची सिक्खी है | उठो ! अब श्री आनंदपुर को चलो , हम तुम्हें लेने के लिए आए है | '
- गुरु जी आगे कहने लगे कि सिक्ख अपनी कमाई में से गुरु के निमित दशवंध दे | सिक्खी की रहत में रहे , स्नान और ध्यान स्मरण में लग कर समय व्यतीत करे | परायी स्त्री व पराये धन का त्याग करे | गुरुबाणी का पाठ करे , गुरु पर विश्वास रखे |
- आप जी दी बढती लोकप्रियता , सिक्खी की सुगंध वतावरन में कस्तूरी की तरह फ़ैल रही थी ,जो मुस्लिम शासकों व अन्य को सहन नहीं था / अब मौके की तलाश थी ,सिक्खी विरोधियों ने अपने धर्मों का शत्रु और शहजादा खुसरो {जो अब जहाँगीर के खिलाफ बागी बन गया था } का आश्रयदाता बना कर आपजी दे खिलाफ भड़काया / आपजी नू शत्रु घोषित कर दिया गया /
- आप जी दी बढती लोकप्रियता , सिक्खी की सुगंध वतावरन में कस्तूरी की तरह फ़ैल रही थी ,जो मुस्लिम शासकों व अन्य को सहन नहीं था / अब मौके की तलाश थी ,सिक्खी विरोधियों ने अपने धर्मों का शत्रु और शहजादा खुसरो {जो अब जहाँगीर के खिलाफ बागी बन गया था } का आश्रयदाता बना कर आपजी दे खिलाफ भड़काया / आपजी नू शत्रु घोषित कर दिया गया /
- आप जी दी बढती लोकप्रियता , सिक्खी की सुगंध वतावरन में कस्तूरी की तरह फ़ैल रही थी ,जो मुस्लिम शासकों व अन्य को सहन नहीं था / अब मौके की तलाश थी ,सिक्खी विरोधियों ने अपने धर्मों का शत्रु और शहजादा खुसरो {जो अब जहाँगीर के खिलाफ बागी बन गया था } का आश्रयदाता बना कर आपजी दे खिलाफ भड़काया / आपजी नू शत्रु घोषित कर दिया गया /
- सतिगुरु नानक देव जी ने सिमरन तथा सिक्खी मार्ग को प्रगट करके कलयुगी जीवों को कल्याण के साधन सिर्फ नाम सिमरन , सच्चा प्यार तथा सेवा ही बताया | वैसे ही भाई गुरदास जी फरमाते हैं कि गुरु घर में प्यार का प्याला मिलता है वह भी अनहद की धुनी बजती है | वह प्यार चांद चकोर जैसा होता है | ध्यान लगा रहता है | सिक्ख को सच्चे प्यार की कृपा होती है , गुरमुखों को ऐसा सुख मिलता है , सतिगुरु की प्रशंसा है |
- सिक्खों ने कहा महाराज ! हमने तो आपका हुक्म माना है | गुरु जी ने कहा यदि हमारा हुक्म मानते हो तो इस सिक्ख को कोई अपनी लड़की का रिश्ता दे दो | गुरु जी का यह वचन सुनकर सभ चुप हो गए | सबको चुप देखकर गुरु जी ने कहा , गुरु का हुक्म तब ही यथार्थ है यदि गुरु के सारे हुक्म माने जाए | परन्तु तुमसे सिक्खी दूर है | आसान हुक्म मान लेते हो तथा कठिन समय चुप धारण कर लेते हो |