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सिरिस का अर्थ

सिरिस अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. और इस तिकड़ी के बाद ही मैने बखिया सिरिस , असफल अभियान और कहे तो विमल की पूरी सिरिस आत्मसात की.पाठक साहबे के नए या पुराने पढने वालो में शायद ही कोई ऐसा होगा जो बखिया सिरिस के जादू से अपने को परे रख पाए.
  2. “जय देवी यश : काय वरमाल लिये गाती थी मंगल-गीत, दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी, राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल सिरिस का ईर्ष्या, महदाकांक्षा, द्वेष, चाटुता सभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये, निखर आया था जीवन-कांचन धर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
  3. “साहेबान अपने सिपहसलार की नामौजिदगी बखिया को बहुत खटक रही है” अगर “ जहाज का पंछी” में पाठक साहेब की भाषा का जादू सर चढ़कर बोला तो साहेबान बखिया सिरिस में उनके घटनाओ का , घात प्रतिघात को लिखने का अंदाज दिमाग पर छा गया .
  4. शेखर उसके पास जाएगा और उससे कहेगा , मैं शेखर हूँ , बन्धनों के देश से आया हूँ , और वह उसे अपने पास बिठा लेगी और कहेगी , यहाँ तुम अबाध हो-उस सिरिस के फूलों के महल में तुम रहोगे और जो चाहो करोगे ...
  5. राजा ने अलग सुना : “जय देवी यश:काय वरमाल लिये गाती थी मंगल-गीत, दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी, राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल सिरिस का ईर्ष्या, महदाकांक्षा, द्वेष, चाटुता सभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये, निखर आया था जीवन-कांचन धर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
  6. पीपल की सूखी खाल स्निग्ध हो चली सिरिस ने रेशम से वेणी बाँध ली नीम के भी बौर में मिठास देख हँस उठी है कचनार की कली टेसुओं की आरती सजा के बन गयी वधू वनस्थली स्नेह भरे बादलों से व्योम छा गया जागो-जागो , जागो सखि़ वसन्त आ गया जागो .
  7. कुएँ के पास पुराने ढंग की छोटी-छोटी ईंटों का एक ढेर , कुछ पीले-पीले , उड़कर आये हुए पीपल के पत्ते आँगन के दायीं ओर , दीवार के बाहर एक पीपल , जिसके नीचे एक गाय बँधी है , उससे कुछ दूर एक छोटे-से मन्दिर का छत्र और सिरिस के पेड़ की कुछ फुनगियों की झाँकी।
  8. मलयज का झोंका बुला गया खेलते से स्पर्श से रोम-रोम को कंपा गया- जागो-जागो जागो सखि , वसंत आ गया जागो पीपल की सूखी खाल स्निग्ध हो चली सिरिस ने रेशम से वेणी बाँध ली नीम के भी बौर में मिठास देख हँस उठी है कचनार की कली टेसुओं की आरती सजा के बन गई वधू वनस्थली
  9. राजा ने अलग सुना : ” जय देवी यश : काय वरमाल लिये गाती थी मंगल-गीत , दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी , राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था , मानो हो फल सिरिस का ईर्ष्या , महदाकांक्षा , द्वेष , चाटुता सभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये , निखर आया था जीवन-कांचन धर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
  10. अवतरित हुआ संगीतस्वयम्भूजिसमें सीत है अखंडब्रह्मा का मौनअशेष प्रभामय ।डूब गये सब एक साथ ।सब अलग-अलग एकाकी पार तिरे ।राजा ने अलग सुना : "जय देवी यश:कायवरमाल लियेगाती थी मंगल-गीत,दुन्दुभी दूर कहीं बजती थी,राज-मुकुट सहसा हलका हो आया था, मानो हो फल सिरिस काईर्ष्या, महदाकांक्षा, द्वेष, चाटुतासभी पुराने लुगड़े-से झड़ गये, निखर आया था जीवन-कांचनधर्म-भाव से जिसे निछावर वह कर देगा ।
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