सुथनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मौके पर मोती नारायण सिंह , सरस्वती देवी, राजा राम प्रजापति, सुरेंद्र करमाली, योगेश दांगी, प्रदीप साहू, श्याम कुमार, दशरथ मुंडा, मिहिया, रामचंद्र महतो, राजकुमार, मनिका, सोमरी, लालमुनी, फुलेश्वरी, सुकरमनी, संजू, ललकी, बासो, सीता, सुथनी, गीता सहित अन्य लोग मौजूद थे।
- यह बाजरे के आटे और गुड़ व तिल से बने हुए पुए जैसा होता है ) , नारियल, मूली, सुथनी, अखरोट, बादाम, नारियल, इस पर चढ़ाने के लिए लाल/ पीले रंग का कपड़ा, एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो गन्ने के बारह पेड़ आदि।
- यह बाजरे के आटे और गुड़ व तिल से बने हुए पुए जैसा होता है ) , नारियल, मूली, सुथनी, अखरोट, बादाम, नारियल, इस पर चढ़ाने के लिए लाल/ पीले रंग का कपड़ा, एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो गन्ने के बारह पेड़ आदि।
- ‘ नाश्ते ' के बाद लड़कियाँ घरेलू काम में लग जातीं और लड़के सरेह में - गन्ने चूसते , कन्न , सुथनी , आलू , भून कर खा जाते और कमर से नीचे सरकती फटी चुटी बजगानियों में बाँध कर बहनों के लिये ले भी आते।
- ‘ नाश्ते ' के बाद लड़कियाँ घरेलू काम में लग जातीं और लड़के सरेह में - गन्ने चूसते , कन्न , सुथनी , आलू , भून कर खा जाते और कमर से नीचे सरकती फटी चुटी बजगानियों में बाँध कर बहनों के लिये ले भी आते।
- व्रत सामग्री में खासकर बांस से बने दऊरा-सुपली , ईख , नारियल , फल-फूल , मूली , पत्ते वाले अदरक , बोरो , सुथनी , केला , आटे से बने ठेकुआ आदि होते हैं जिन्हें एक लकड़ी के डाले में रखा जाता है जिसे लोग दऊरा या ढलिया या बंहगी भी कहते हैं .
- व्रत सामग्री में खासकर बांस से बने दऊरा-सुपली , ईख , नारियल , फल-फूल , मूली , पत्ते वाले अदरक , बोरो , सुथनी , केला , आटे से बने ठेकुआ आदि होते हैं जिन्हें एक लकड़ी के डाले में रखा जाता है जिसे लोग दऊरा या ढलिया या बंहगी भी कहते हैं .
- यह गेहूं के आटे और गुड़ व तिल से बने हुए पुए जैसा होता है ) , नारियल , मूली , सुथनी , अखरोट , बादाम , नारियल , इस पर चढ़ाने के लिए लाल / पीले रंग का कपड़ा , एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो गन्ने के बारह पेड़ आदि।
- यह गेहूं के आटे और गुड़ व तिल से बने हुए पुए जैसा होता है ) , नारियल , मूली , सुथनी , अखरोट , बादाम , नारियल , इस पर चढ़ाने के लिए लाल / पीले रंग का कपड़ा , एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो गन्ने के बारह पेड़ आदि।
- उनके भोजपुरी कविता संग्रह का नाम है-भाकोलवा ( १ ९ २ १ ) , और धोखा ( १ ९ ६ २ ) . अन्य कविताओं में-लगनवा , स्वागत , समधी जी , कईसन विदाई , दंगल होई , एही उमर में , सिवान से सोनपुर , भईयवा , सुथनी , सतुआ , मोसम , जियलो जहर बा .