सुपार्श्वनाथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ( 1) ऋषभदेव या आदिनाथ, (2) अजितनाथ, (3) संभवनाथ, (4) अभिनंदननाथ, (5) सुमतिनाथ, (6) पदम प्रभु, (7) सुपार्श्वनाथ, (8) चंद्रप्रभु, (9) पुष्पदंत, (10) शीतलनाथ, (11) श्रेयांसनाथ, (12) वासूपूज्य, (13) विमलनाथ, (14)अनंतनाथ, (15) धर्मनाथ, (16) शांतिनाथ, (17) कुंतुनाथ, (18)अमरनाथ, (19) मल्लिनाथ, (20) मुनि सुव्रत, (21) नमिनाथ, (22) नेमिनाथ, (23) पार्श्वनाथ और (24) महावीर स्वामी।
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्रभु जी ९ : सुविधिनाथ जी १० : शीतलनाथ जी ११ : श्रेयांसनाथ जी १२ : वासुपुज्य जी १३ : विमलनाथ जी १४ : अनन्तनाथ जी १५ :
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्रभु जी ९ : सुविधिनाथ जी १० : शीतलनाथ जी ११ : श्रेयांसनाथ जी १२ : वासुपुज्य जी १३ : विमलनाथ जी १४ : अनन्तनाथ जी १५ :
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्रभु जी ९ : सुविधिनाथ जी १० : शीतलनाथ जी ११ : श्रेयांसनाथ जी १२ : वासुपुज्य जी १३ : विमलनाथ जी १४ : अनन्तनाथ जी १५ : धर्म
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्रभु जी ९ : सुविधिनाथ जी १० : शीतलनाथ जी ११ : श्रेयांसनाथ जी १२ : वासुपुज्य जी १३ : विमलनाथ जी १४ : अनन्तनाथ जी १५ : धर्म
- दाहिनी तरफ के मंदिर से , सभी ४ मूर्तिया एक गोल मेरु के ऊपर देखा जाता है | इनमें से प्रभु सुपार्श्वनाथ की मूर्ति पश्चिम मुखी है और भगवान नेमिनाथ के दो मूर्तियो में से - एक उत्तर मुखी और दूसरा पूर्व मुखी है | तीनों मूर्तिया विक्रम संवत वर्ष १ ५ ४ ६ में स्थापित किया गया है | चौथा मूर्ति दक्षिण मुखी और वह भगवान चंद्रप्रभा स्वामी का है |
- ४ . गाँव के पूर्वी भाग तथा श्री अजितनाथजी के दाहिनी ओर पश्चिमाभिमुख श्र ी सुपार्श्वनाथ भगवान का जिनालय है | इस मंदिर में श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की नयनरम्य विशाल मूर्ति बिराजमान है | इस मंदिर के रंगमण्डप में बिराजमान प्रतिमाओं में से एक श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की प्रतिमा पर शिलालेख क्रमांक ३ ४ ० चार पंक्तियों में अंकित है | इस लेख में जताया हैं कि महाराजाधिराज श्री अभयराज के राज्यकाल में वि . सं . १ ७ २ १ जेठ शुक्ल तृतिया के दिन प्रागवाट ( पोरवाल ) ज्ञाति के सा .
- ४ . गाँव के पूर्वी भाग तथा श्री अजितनाथजी के दाहिनी ओर पश्चिमाभिमुख श्र ी सुपार्श्वनाथ भगवान का जिनालय है | इस मंदिर में श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की नयनरम्य विशाल मूर्ति बिराजमान है | इस मंदिर के रंगमण्डप में बिराजमान प्रतिमाओं में से एक श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की प्रतिमा पर शिलालेख क्रमांक ३ ४ ० चार पंक्तियों में अंकित है | इस लेख में जताया हैं कि महाराजाधिराज श्री अभयराज के राज्यकाल में वि . सं . १ ७ २ १ जेठ शुक्ल तृतिया के दिन प्रागवाट ( पोरवाल ) ज्ञाति के सा .
- ( 1) श्री ऋषभदेव भगवान (2) श्री अजितनाथ भगवान (3) श्री संभवनाथ भगवान (4) श्री अभिनंदनस्वामी भगवान (5) श्री सुमतिनाथ भगवान (6) श्री पद्यप्रभस्वामी भगवान (7) श्री सुपार्श्वनाथ भगवान (8) श्री चंद्रप्रभस्वामी भगवान (9) श्री सुविधिनाथ भगवान (10) श्री शीतलनाथ भगवान (11) श्री श्रेयांसनाथ भगवान (12) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान (13) श्री विमलनाथ भगवान (14) श्री अनंतनाथ भगवान (15) श्री धर्मनाथ भगवान (16) श्री शांतिनाथ भगवान (17) श्री कुंथुंनाथ भगवान (18) श्री अरनाथ भगवान (19) श्री मल्लिनाथ भगवान (20) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान (21) श्री नमिनाथ भगवान (22) श्री नेमिनाथ भगवान (23) श्री पार्श्वनाथ भगवान (24) श्री महावीरस्वामी भगवान