सुयोग्यता का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अल्पज्ञता के कारण मनुष्य गलतियों का पुतला कहलाता है और सद्गुरु मनुष्य की त्रुटियों का अंत करके उसके अन्दर की सोयी शक्तियों को जागृत करता है , सुयोग्यता बढ़ाता है और पार जाने का मार्ग सुझाता है।
- चूंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जाति से ही अटूट रूप से जुदा है , इसलिए वह जनतांत्रिक चुनावों में भी जाति को ही आधार बनाता है , प्रत्याशियों की सुयोग्यता पर कोई विचार नहीं किया जाता .
- - कर्त्ता इस बात के लिये अन्तः प्रेरित हो कि उसे कार्य को दक्षता के साथ नियत अथवा उससे कम समय में गुणवत्तापूर्ण ढ़ंग से निष्पादित करके अपनी सुयोग्यता , सक्षमता और उत्कृष्टता को सिद्ध करना ही है |
- [ 55 ] विषद तत्वों द्वारा नैतिक मुद्दे , सुयोग्यता , मानवी संबंध , निजता और गोपनीयत , प्रचार , अभिलेखन , शुल्क , प्रशिक्षण , शोध , प्रकाशन मूल्यांकन और उपचार विधि के बारे में बताया जाता है .
- [ 55 ] विषद तत्वों द्वारा नैतिक मुद्दे , सुयोग्यता , मानवी संबंध , निजता और गोपनीयत , प्रचार , अभिलेखन , शुल्क , प्रशिक्षण , शोध , प्रकाशन मूल्यांकन और उपचार विधि के बारे में बताया जाता है .
- दीदी की पढ़ाई में पहली बाधा दूर जाने की थी और दूसरी बाधा उस परिचित ने ला उपस्थित की थी जिसने सदन सिंह की सुयोग्यता का ऐसा दृश्य उपस्थित किया था कि मां ने उस सुयोग्य वर को छोड़ना उचित नहीं समझा था।
- इसी कारण से भारत को एक नयी शासन व्यवस्था की आवश्यकता है जिसे मैं बौद्धिक जनतंत्र कहता हूँ जिसमें देश की शासन व्यवस्था में बौद्धिक सुयोग्यता को आधार बनाया जाए और ऐसे प्रावधान हों कि प्रत्येक नागरिक को एक समान उत्थान के अवसर उपलब्ध हों .
- संहिता 5 सिद्धांतों पर आधारित है : उपकारिता और गैर-हानिकारिता, ईमानदारी और उत्तरदायित्व, सत्यनिष्ठा, न्याय एवं मानव के अधिकार और गरिमा का सम्मान.[55] विषद तत्वों द्वारा नैतिक मुद्दे, सुयोग्यता, मानवी संबंध, निजता और गोपनीयत, प्रचार, अभिलेखन, शुल्क, प्रशिक्षण, शोध, प्रकाशन मूल्यांकन और उपचार विधि के बारे में बताया जाता है.
- हमें विश्वास है कि एक विकलांग होने के बावजूद सिन्चांग के उइगुर जातीय विकलांग युवक सिराली ममुती ने जो स्वावलंबन और सुयोग्यता पाने के लिए कोशिश की है , उस की कहानी से आप जरूर बहुत प्रभावित हो गया हो और आप को यह कहानी पसंद हुई हो ।
- जातीयता भारत का समाज सदैव जातियों में विभाजित रहा है किन्तु इस विभाजन का सर्वाधिक दुष्प्रभाव भारत की राजनीति पर होता है जिसमें चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन से लेकर मतदान तक व्यक्ति की जाति को प्रमुख आधार बनाया जाता है तथा व्यक्ति की पद हेतु सुयोग्यता को ताक पर रख दिया जाता है .