स्वरभंग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यही रस उच्च रक्तचाप के रोगियों के लि कटहल पेड की पत्तियों की कलियां कूट कर गोली बना लें और इस गोली को चूसने से स्वरभंग व गले के रोग में फायदा होता है।
- सात्विक अभिनय तो उन भावों का वास्तविक और हार्दिक अभिनय है जिन्हें रस सिद्धांतवाले सात्विक भाव कहते हैं और जिसके अंतर्गत , स्वेद, स्तंभ, कंप, अश्रु, वैवर्ण्य, रोमांच, स्वरभंग और प्रलय की गणना होती है।
- भूख की कमी , बैचेनी , बुखार , हाथ-पैरों के तलवे में जलन , वीर्य का पतला पन , आलस्य , कमर में दर्द , स्वरभंग , नजर का कमजोर होना आदि लक्षण दिखाई देने लगता है।
- भूख की कमी , बैचेनी , बुखार , हाथ-पैरों के तलवे में जलन , वीर्य का पतला पन , आलस्य , कमर में दर्द , स्वरभंग , नजर का कमजोर होना आदि लक्षण दिखाई देने लगता है।
- 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस ( जड़ का रस ) अकेले या सुहागे की खील ( लावा ) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग ( बैठा हुआ गला ) ठीक हो जाता है।
- जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग ( बैठा हुआ गला ) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।
- 10 स्वर भंग ( आवाज के बैठने पर ) : - अगस्त की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी , जीभ का फटना , स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर ( खून ) के निकलने आदि रोगों में लाभ होता है।
- 10 स्वर भंग ( आवाज के बैठने पर ) : - अगस्त की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी , जीभ का फटना , स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर ( खून ) के निकलने आदि रोगों में लाभ होता है।
- खुजली और कुष्ट में - कसौन्दी की पत्ती पीसकर लगाना चाहिए | स्वरभंग रोग में - कसौंदी की पत्ती घी में भून कर खाना चाहिए | बालक के पाँसूली चलने पर - कसौंदी की पत्ती का रस 1 माशा पिलाना चाहिए | भिलवा का विष - कसौंदी की पत्ती पीसकर लगाने से
- @ सात्विक भावों को विच्छेद कर प्रकट करने की शैली वक्रोक्ति पसंद करने वालों को अच्छी लगेगी . पसीने ( स्वेद ) के लिए ' नमक + जल ' / स्वरभंग के लिए ' हकलाना + झेंप ' / इसी तरह अश्रु के लिए आप कोई फार्मूला देते नहीं दिख रहे .