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स्वरभंग का अर्थ

स्वरभंग अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. यही रस उच्च रक्तचाप के रोगियों के लि कटहल पेड की पत्तियों की कलियां कूट कर गोली बना लें और इस गोली को चूसने से स्वरभंग व गले के रोग में फायदा होता है।
  2. सात्विक अभिनय तो उन भावों का वास्तविक और हार्दिक अभिनय है जिन्हें रस सिद्धांतवाले सात्विक भाव कहते हैं और जिसके अंतर्गत , स्वेद, स्तंभ, कंप, अश्रु, वैवर्ण्य, रोमांच, स्वरभंग और प्रलय की गणना होती है।
  3. भूख की कमी , बैचेनी , बुखार , हाथ-पैरों के तलवे में जलन , वीर्य का पतला पन , आलस्य , कमर में दर्द , स्वरभंग , नजर का कमजोर होना आदि लक्षण दिखाई देने लगता है।
  4. भूख की कमी , बैचेनी , बुखार , हाथ-पैरों के तलवे में जलन , वीर्य का पतला पन , आलस्य , कमर में दर्द , स्वरभंग , नजर का कमजोर होना आदि लक्षण दिखाई देने लगता है।
  5. 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस ( जड़ का रस ) अकेले या सुहागे की खील ( लावा ) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग ( बैठा हुआ गला ) ठीक हो जाता है।
  6. जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग ( बैठा हुआ गला ) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।
  7. 10 स्वर भंग ( आवाज के बैठने पर ) : - अगस्त की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी , जीभ का फटना , स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर ( खून ) के निकलने आदि रोगों में लाभ होता है।
  8. 10 स्वर भंग ( आवाज के बैठने पर ) : - अगस्त की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी , जीभ का फटना , स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर ( खून ) के निकलने आदि रोगों में लाभ होता है।
  9. खुजली और कुष्ट में - कसौन्दी की पत्ती पीसकर लगाना चाहिए | स्वरभंग रोग में - कसौंदी की पत्ती घी में भून कर खाना चाहिए | बालक के पाँसूली चलने पर - कसौंदी की पत्ती का रस 1 माशा पिलाना चाहिए | भिलवा का विष - कसौंदी की पत्ती पीसकर लगाने से
  10. @ सात्विक भावों को विच्छेद कर प्रकट करने की शैली वक्रोक्ति पसंद करने वालों को अच्छी लगेगी . पसीने ( स्वेद ) के लिए ' नमक + जल ' / स्वरभंग के लिए ' हकलाना + झेंप ' / इसी तरह अश्रु के लिए आप कोई फार्मूला देते नहीं दिख रहे .
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