अकार्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस प्रकार प्रपंच के बाधित होने पर अपने बुद्धि , इन्द्रिय आदि के साथ इच्छा आदि से रहित मन के शान्त ( वृत्तिशून्य ) होने पर कार्य , अकार्य , इच्छा आदिका कुछ भी प्रयोजन नहीं रहता , क्योंकि बाधित का सत्यरूप से भान न होने के कारण प्रारब्धजनित क्रियाभास से क्रिया और उसके फल का भोग नहीं होता , यह भाव है।।
- अहो गुरू ! (वास्तव में धन्यवाद के पात्र हैं) ll 30-35 ll इस प्रकार जो मनुष्य इस उपनिषद को पढ़ता है, वह कृतकृत्य होता है, मदिरा पान किया हो तो भी वह पवित्र होता है सुवर्ण चुराया हो तो भी पवित्र होता है, ब्रह्माहत्या की हो तो भी पवित्र होता है, कार्य अकार्य किया हो तो भी पवित्र होता है l ऐसा ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात्स्वेच्छानुसार ( आत्मानुकूल ) में प्रवृत्त हो सकता है l ॐसत्यम् l इस प्रकार यह उपनिषद्समाप्त होता है l ll 36 ll