अक्षमाला का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- एक अन्य ध्यान में सिद्धिविनायकको अपने हाथों में दंत , अक्षमाला , परशु और मोदक से भरा हुआ पात्र लिए दिखाया गया है , जिसमें उनकी सूँड का अग्रभाग लड्डू पर लगा हुआ है।
- एक अन्य ध्यान में सिद्धिविनायकको अपने हाथों में दंत , अक्षमाला , परशु और मोदक से भरा हुआ पात्र लिए दिखाया गया है , जिसमें उनकी सूँड का अग्रभाग लड्डू पर लगा हुआ है।
- उपादान - ' दण्डकमण्डकु , अक्षमाला , कृष्णमृगचर्म आदि के धारण कर लेने अथवा जटाजूट होकर संन्यास ग्रहण कर लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी ' - इस रूप में सन्तुष्ट हो जाना उपादान नामक तुष्टि है ।
- उपादान - ' दण्डकमण्डकु , अक्षमाला , कृष्णमृगचर्म आदि के धारण कर लेने अथवा जटाजूट होकर संन्यास ग्रहण कर लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी ' - इस रूप में सन्तुष्ट हो जाना उपादान नामक तुष्टि है ।
- महाकाली से यों कहकर महालक्ष्मी ने अत्यन्त शुद्ध सत्त् वगुण के द्वारा दूसरा रूप धारण किया , जो चन्द्रमा के समान गौरवर्ण था॥ 14 ॥ वह श्रेष्ठ नारी अपने हाथों में अक्षमाला , अङ्कुश , वीणा तथा पुस्तक धारण किये हुए थी।
- सदैव प्रसन्न मुख वाली हाथों में अक्षमाला , फरसा , गदा , बाण , वज्र , कमल , धनुष , कुण्डिका , दंड शक्ति , खड्ग , ढाल , शंख , घंटा , मधुपात्र , शूल पाश और चक्र धारण किए हुए हैं।
- गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में परशु , ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत , नीचे दांये हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बांये हाथ में मोदक धारण किए हुए आयुध के रूप में अलंकृत है।
- जो अपने हाथों में अक्षमाला , फरसा, गदा, बाण, वज्र, पद्म, धनुष, कुण्डिका, दंड, शक्ति, खडग, ढाल, घंटा, मधुपात्र, त्रिशूल, पाश और सुदर्शनचक्र धारण कराती हैं, जिनका वर्ण अरुण है, तथा जो लाल कमल पर विराजमान हैं, उन भगवती महिषासुरमर्दिनी भगवती महालक्ष्मी जी का मैं भजन करता हूँ!
- क्या सरस्वती के आइकॉन की धर्मेतर और शिक्षण-विशिष्ट व्याख्याएँ संभव ही नहीं हैं ? क्या सरस्वती की पहचान “ कुमतिध्वंसकारिणीम् '' के रूप में नहीं है ? क्या उसे ‘‘ ज्ञानाकरां ” नहीं कहा गया ? सरस्वती का आइकॉन अक्षमाला , अंकुश , वीणा और पुस्तक लिए हुए है।
- अब उनके दाहिनी ओर के निचले हाथों से लेकर बायीं ओर के निचले हाथों तक में क्रमश : जो अस्त्र हैं, उनका वर्णन किया जाता है॥10॥ अक्षमाला, कमल, बाण, खड्ग, वज्र, गदा, चक्र, त्रिशूल, परशु, शङ्ख, घण्टा, पाश, शक्ति दण्ड, चर्म (ढाल), धनुष, पानपात्र और कमण्डलु- इन आयुधों से उनकी भुजाएँ विभूषित हैं।