अजितनाथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्
- १ : ऋषभदेव जी २ : अजितनाथ जी ३ : सँभवनाथ ४ : अभिनन्दन जी ५ : सुमतिनाथ जी ६ : पद्मप्रभु जी ७ : सुपार्श्वनाथ जी ८ : चन्द्रप्
- इसी जिनालय के नीचे तलघर में वेदिका पर अजितनाथ भगवान की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है एवं मंदिर के सामने नगाड़खाने में ऊपर वेदिका पर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है।
- यह अयोध्या नगरी का पुण्य प्रताप ही है कि सूर्यवंशी राजाओं के साथ-साथ यह पाँच जैन तीर्थकारों - ऋषभदेव , अजितनाथ , संभवनाथ , अभिनंदननाथ और सुमतिनाथ- की भी जन्मस्थली बनी।
- यह अयोध्या नगरी का पुण्य प्रताप ही है कि सूर्यवंशी राजाओं के साथ-साथ यह पाँच जैन तीर्थकारों - ऋषभदेव , अजितनाथ , संभवनाथ , अभिनंदननाथ और सुमतिनाथ- की भी जन्मस्थली बनी।
- मेहता 18वीं शताब्दी के जैन भिक्षुओं की रचानाओं का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि अयोध्या वह जगह हैं जहां पांच जैन तीर्थंकर , ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ रहा करते थे.
- लगभग दसवीं शताब्दी की ये प्रतिमाएं क्षेत्रपाल , पार्श्वनाथ जैन तीर्र्थकर ( काले पत्थर पर बैठे हुए ) , अंबिका , आदिमनाथ , अजितनाथ , गौमेद एवं अम्बिका तथा नेमीनाथ की है।
- लगभग दसवीं शताब्दी की ये प्रतिमाएं क्षेत्रपाल , पार्श्वनाथ जैन तीर्र्थकर ( काले पत्थर पर बैठे हुए ) , अंबिका , आदिमनाथ , अजितनाथ , गौमेद एवं अम्बिका तथा नेमीनाथ की है।
- मेहता 18वीं शताब्दी के जैन भिक्षुओं की रचानाओं का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि अयोध्या वह जगह हैं जहां पांच जैन तीर्थंकर , ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ रहा करते थे.
- इस परंपरा में श्रीरुद्र न्यायवाचस्पति का “पिकदूत” , “वादिराज” का “पवनदूत”, “हरिदास” का “कोकिलदूत”, सिद्धनाथ विद्यावागीश का “पवनदूत” कृष्णनाथ न्यायपंचानन का “वातदूत”, अजितनाथ न्यायरत्न का “बकदूत”, रघुनाथ दास का “हंस दूत” आदि रचनाएँ हैं।