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अड़ूसा का अर्थ

अड़ूसा अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. नकसीर व रक्तपित्त : अड़ूसा की जड़ की छाल और पत्तों का काढ़ा बराबर की मात्रा में मिलाकर 2 - 2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराने से नाक और मुंह से खून आने की तकलीफ दूर होती है।
  2. आंवला , हर्रे , बहेड़ा , चिरायता , अड़ूसा के पत्ते , कुटकी और नीम की छाल को बराबर की मात्रा में बारीक कूटकर और पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर जब 50 मिलीलीटर शेष रह जाए तब उसे ठंड़ा करके पीएं।
  3. आंवला , हर्रे , बहेड़ा , चिरायता , अड़ूसा के पत्ते , कुटकी और नीम की छाल को बराबर की मात्रा में बारीक कूटकर और पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर जब 50 मिलीलीटर शेष रह जाए तब उसे ठंड़ा करके पीएं।
  4. सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम , काकड़ासिंगी 180 ग्राम , मुलहठी 25 ग्रा , अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम , पीपल 5 ग्राम , और मिश्री 1 किलो 500 ग्राम , सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।
  5. सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम , काकड़ासिंगी 180 ग्राम , मुलहठी 25 ग्रा , अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम , पीपल 5 ग्राम , और मिश्री 1 किलो 500 ग्राम , सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।
  6. बेलगिरी , दारूहल्दी , रसौत , वासा ( अड़ूसा ) , नागरमोथा , चिरायता , शुद्ध भल्लातक और कुमुद को बराबर मात्रा में शहद के साथ मिलाकर पीने से सभी प्रकार के पीले , काले , नीले , लाल , और सफेद प्रवाह वाले प्रदर रोग मिट जाते हैं।
  7. बच्चों के गले और सीने में घड़घड़ाहट होने पर 10 से 20 बूंद अड़ूसा लाल ( लाल बाकस ) के पत्तों के रस को सुहागा की खील के साथ या छोटी पीपल और शहद के साथ 4 से 6 घंटे के अंतराल पर देने से बच्चे को पूरा लाभ मिलता है।
  8. अड़ूसा के पत्तों का एक चम्मच रस शहद , दूध या पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पुरानी खांसी , दमा , टी . बी . , मल-मूत्र के साथ खून का आना , खून की उल्टी , रक्तपित्त रोग और नकसीर आदि रोगों में लाभ होता है।
  9. बेल के पत्ते , निम्बछाल , द्राक्षा ( मुनक्का ) , त्रिफला , रास्नामूल और वासा ( अड़ूसा ) को बराबर मात्रा में लेकर बने काढ़े को 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा और 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लें।
  10. अड़ूसा या वासा या पियावासा जो भी आपके यहाँ कहते हों इसके पत्ते छाया में सुखाए हुये पत्तों की सफेद रंग की भस्म व मुलहठी का चूर्ण 50 - 50 ग्राम , काकड़ासिंगी , कुलींजन , और नागरमोथा तीनों का वारीक चूर्ण 10 - 10 ग्राम और सबको खरल करके एक जीव कर लें यह औषध तैयार है अब इसकी 1 से 2 ग्राम मात्रा शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें अवश्य लाभ होगा।
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