अण्डज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस त्रिगुणात्मक सृष्टि ने तीन प्रकार के जीव उत्पन्न कियें इन प्राणियों के ये तीन बीज- ' अण्डज , ' ' जरायुज ' और ' उद्भिज ' कहलाये।
- इसी क्रम में परवर्ती जीवयोनि स्वेदज में ईश्वर की दो कला , अण्डज में तीन और जरायुज के अन्तर्गत पशु योनि में चार कलाओं का विकास होता है।
- इसी क्रम में परवर्ती जीवयोनि स्वेदज में ईश्वर की दो कला , अण्डज में तीन और जरायुज के अन्तर्गत पशु योनि में चार कलाओं का विकास होता है।
- लगभग सभी गैर अण्डज मछलियां , उभयचर और सरीसृप अण्डजरायुज होते हैं, अर्थात् अंडे माँ के शरीर के अंदर ही फूटते हैं (समुद्री घोड़े के मामले में पिता के अंदर)।
- लगभग सभी गैर अण्डज मछलियां , उभयचर और सरीसृप अण्डजरायुज होते हैं, अर्थात् अंडे माँ के शरीर के अंदर ही फूटते हैं (समुद्री घोड़े के मामले में पिता के अंदर)।
- स्वदेज , अण्डज , पशु और मनुष्य तथा देवताओं तक की तृप्ति अन्नमय-कोष वाले उदभिज्जों द्वारा ही होती है और इसी एक कला के विकास के परिणाम स्वरूप उनकी इन्द्रियों की क्रियाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।
- स्वदेज , अण्डज , पशु और मनुष्य तथा देवताओं तक की तृप्ति अन्नमय-कोष वाले उदभिज्जों द्वारा ही होती है और इसी एक कला के विकास के परिणाम स्वरूप उनकी इन्द्रियों की क्रियाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।
- इसी प्रकार कुलज , जलज , वंशज , पूर्वज , आत्मज , आत्मजा : अण्डज , उदभिज आदि अन्य शब्दों को देखें इनसे सिद्घ होता है कि जकार जन्म के अर्थों को ही प्रकट करता है।
- इसी प्रकार कुलज , जलज , वंशज , पूर्वज , आत्मज , आत्मजा : अण्डज , उदभिज आदि अन्य शब्दों को देखें इनसे सिद्घ होता है कि जकार जन्म के अर्थों को ही प्रकट करता है।
- शरीर की उत्पत्ति चार प्रकार - जरायुज , स्वेदज , अण्डज और उद्भिज से होती है और यह चौरासी लाख प्रकार की आकृतियों में जानी व देखी जाती है जिसमें मनुष्य शरीर एक श्रेष्ठतम् और सर्वोत्तम आकृति है।