अधियज्ञ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भावार्थ : जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव सहित तथा अधियज्ञ सहित (सबका आत्मरूप) मुझे अन्तकाल में भी जानते हैं, वे युक्तचित्तवाले पुरुष मुझे जानते हैं अर्थात प्राप्त हो जाते हैं॥30॥ ॐ
- अधियज्ञ कौन है और इस देह में कैसे रहता है [ 3 ] ? और युक्त चित्त वाले पुरुषों द्वारा अंत समय में आप कैसे जानें जाते हैं [ 4 ] ?
- दूसरे शब्दों में इसका आशय यह है कि जो लोग अधिभूत , अधिदैव , अधियज्ञ , अध्यात्म , ब्रह्म और कर्म को जानते हैं वही परमात्मा को अंत में भी जानते हैं।
- दूसरे शब्दों में इसका आशय यह है कि जो लोग अधिभूत , अधिदैव , अधियज्ञ , अध्यात्म , ब्रह्म और कर्म को जानते हैं वही परमात्मा को अंत में भी जानते हैं।
- जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव के सहित तथा अधियज्ञ के सहित ( सबका आत्मरूप) मुझे अंतकाल में भी जानते हैं, वे युक्त चित्तवाले पुरुष मुझको ही जानते हैं अर्थात् मुझको ही प्राप्त होते हैं।
- कॉम अथ अष्टमोअध्याय अर्जुन उवाच हे पुरुषोत्तम ! यहि ब्रह्म है क्या? अध्यात्म है क्या और कर्म है क्या? अधिभूत के नाम सों होत है क्या? अधिदैव के नाम को मर्म है क्या?-१ हे मधुसूदन ! अधियज्ञ है क्या?
- कॉम अथ अष्टमोअध्याय अर्जुन उवाच हे पुरुषोत्तम ! यहि ब्रह्म है क्या? अध्यात्म है क्या और कर्म है क्या? अधिभूत के नाम सों होत है क्या? अधिदैव के नाम को मर्म है क्या?-१ हे मधुसूदन ! अधियज्ञ है क्या?
- प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः ॥ भावार्थ : जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव सहित तथा अधियज्ञ सहित ( सबका आत्मरूप ) मुझे अन्तकाल में भी जानते हैं , वे युक्तचित्तवाले पुरुष मुझे जानते हैं अर्थात प्राप्त हो जाते हैं॥ 30 ॥
- फिर यहाँ भी क्यों न हो ? गीता ने यज्ञ को जो महत्त्व दिया है और उसके नए रूप के साथ जो इसकी नई उपयोगिता उसने सुझाई है उसी के चलते अध्यात्म आदि तीन के साथ यहाँ अधियज्ञ का आ जाना जरूरी था।
- वह जो अधिभूत [ समयाधीन बस्तुओं में ] , अधिदैव [ ब्रह्मा के रूप में ] एवं अधियज्ञ [ यज्ञों के मूल रूप में ] मुझे देखता है , वह अंत समय में भी मुझे देखते हुए पूर्ण होश में प्राण त्यागता है और मुझे प्राप्त करता है //