अनकिया का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जहाँ से शुरू होती है आगे की यात्रा वहाँ से साथ रहना है सिर्फ़ वह जो किया अपना अनकिया सब का सब पीछे छोड़ कभी वापस न आने का वादा तुम्हें देता हूँ .
- देर-अबेर पता चले , लेकिन एक बात पता चलेगी कि पछताओगे , कि छिपाओगे , कि चाहोगे हजार-हजार मन से कि न किया होता ; कि चाहोगे कि किसी तरह लौट जाएं और अनकिया कर दें।
- यदि भाषा सही नहीं होगी तो जो कहा गया है उसका अभिप्राय भी वही नहीं होगा ; यदि जो कहा गया है उसका अभिप्राय वह नहीं है , तो जो किया जाना है , अनकिया रह जाता है ;
- यदि भाषा सही नहीं होगी तो जो कहा गया है उसका अभिप्राय भी वही नहीं होगा ; यदि जो कहा गया है उसका अभिप्राय वह नहीं है , तो जो किया जाना है , अनकिया रह जाता है ;
- यदि भाषा सही नहीं होगी तो जो कहा गया है उसका अभिप्राय भी वही नहीं होगा ; यदि जो कहा गया है उसका अभिप्राय वह नहीं है , तो जो किया जाना है , अनकिया रह जाता है ;
- यदि भाषा सही नहीं होगी तो जो कहा गया है उसका अभिप्राय भी वही नहीं होगा ; यदि जो कहा गया है उसका अभिप्राय वह नहीं है , तो जो किया जाना है , अनकिया रह जाता है ;
- उन्होंने कहा है , ऐसा कृत्य पाप है , जो तुम्हें दुख से भर जाए , जो तुम्हें पछतावे से भर जाए , जिसे करके तुम जार-जार रोओ , जिसे करके तुम चाहो कि अनकिया हो जाए , जिसे करके तुम पछताओ , जिसे करके फिर तुम कभी चैन न पा सको , जिसका काटा गड़ता ही रहे , गड़ता ही रहे।
- चर्चा का समाहार करते हुए गोपाल प्रधान ने कहा कि राजनीति और संस्कृति के बीच की एकतानता को रेखांकित करने , राजनीतिक कविता और प्रतिरोध की संस्कृति को दृश्यपटल पर प्रमुखता से स्थापित करने और जनता के जीवनसंघर्ष को सांस्कृतिक विमर्श के सक्रिय केन्द्र के रूप में विकसित करने की प्रगतिशील आंदोलन की उपलब्धियों को न नकारा जा सकता है , न अनकिया किया जा सकता है।
- भाषा के लोकपक्ष के समर्थन में आपकी बातों से उन्हें भी शक्ति मिलेगी जो अपनी मूर्खताओं को दार्शनिक जामा पहनाना चाहते हैं , इस ख़तरे से में अवगत हूँ . अगर हमारे लालन-पालन में और शिक्षण में कोई कमी है तो हम अपने बच्चों को उसका शिकार नहीं बनने देना चाहते और बच्चे ही क्यों , मौक़ा लगते ही अपनी कोशिशों से उस किये को अनकिया करना चाहते हैं .
- यह शुरुआत है जो सिर्फ़ याद दिलाती है वसंत बीत गया अब मौसमों के साथ ज़्यादा एहतियात से पेश आने की ज़रूरत है कि बेक़ाबू हौसलों के पंख लगाकर उड़ने की जगह सयाने फ़ैसलों की सड़क पर चलने का वक़्त है शायद यही बालिग़ होना है इसमें कुछ थकान होती है , कुछ एकरसता की ऊब कि बनी-बनाई पटरियों पर ठिठक कर रह गई है ज़िंदगी थोड़ी सी उदासी भी कि कितना कुछ किए जाने को था , जो अनकिया रह गया