अनवस्था का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यदि यह मान भी लिया जाए कि यह किसी वस्तु पर टिकी हुई है तो भी प्रश्न बना रहता है कि वह वस्तु किस पर टिकी हुई है और इस प्रकार कारण का कारण और फिर उसका कारण … यह क्रम चलता रहा , तो न्याय शास्त्र में इसे अनवस्था दोष कहते हैं।
- भारतीय दार्शनिक मनीषी “कोकं कस्त्वं कुत आयातः , का मे जनजी को तात: ” अर्थात् हम के छी , अहाँ के छी हमर माता के छथि तथा हमर पिता के छथि इत्यादि प्रश्नक उत्तर मे प्रत्यक्ष सूर्य के पिता (पुरुष) आओर चन्द्रमा के माता (स्त्री) क कल्पना कऽ अनवस्था दोष सं बचैत छथि ।
- पुनश्च , यदि ज्ञान स्वतः प्रामाण्यशून्यहै और उसमें प्रामाण्य उत्पन्न करने के लिये कि सी अन्य ज्ञान की, जैसेकारण-गुण की, यथार्थता के ज्ञान की, या सफलप्रवृत्ति के ज्ञान की, आवश्यकता स्वीकार की जाय, तो प्रथम ज्ञान में प्रामाण्य उत्पन्न करनेवाला यह दूसरा ज्ञान भी, ज्ञान होने के कारण, स्वतः प्रामाण्यशून्य होगा, और इस दूसरे ज्ञान में प्रामाण्य उत्पन्न करने के लिये तीसरे ज्ञान कीआवश्यकता होगी एवं इस प्रकार अनवस्था दोष आयगा.