अनादृत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रवीश , अंतर्द्वंद्व की पीड़ा की मुखर अभिव्यक्ति मन को इस तरह छू गयी - करुण हृद होगा पहला कवि, व्यथा से उपजा होगा गान ! अनादृत निश्छलता जब हुयी ,छंद उरदाह बने अनजान !!
- रवीश , अंतर्द्वंद्व की पीड़ा की मुखर अभिव्यक्ति मन को इस तरह छू गयी - करुण हृद होगा पहला कवि, व्यथा से उपजा होगा गान ! अनादृत निश्छलता जब हुयी ,छंद उरदाह बने अनजान !!
- वर्तमान मामले में इलाहाबाद बैंक के नोट कागज संख्या-3क / 7 से यह स्पष्ट है कि हस्ताक्षरों की भिन्नता के अलावा पर्याप्त धनराशि न होने के आधार पर चेक को बैंक द्वारा अनादृत किया गया है।
- दहेज विरोधी कानून , बलात्कार निरोधी कानून , व व्यापारी उत्पीडन का कारन बने १ ३ ८ चेक अनादृत एक्ट ! ये कुछ ऐसे एक्ट है जिनका जन सामान्य में जम कर दुरूपयोग हो रहा है !
- स्पष्ट है कि अगले दस या पंद्रह वर्षों में भारतीय भाषाएं भारत में ही अनादृत हो जाएंगी और इन भाषाओं में साहित्य पाठक नहीं बचेंगे , बोलचाल की भाषा अंगरेजी और भारतीय भाषाओं का संकरित रूप होगी !!
- उक्त धनराशि की अदायगी हेतु उसके द्वारा एक चेक संख्या-624121 पंजाब नेशनल बैक शाखा पिथौरागढ के खातां संख्या-1672000100119792 का दिनांक 0-08-09 को दिया , जिसे परिवादी ने नैनीताल बैक पिथौरागढ में जमा किया जो अनादृत हो गया इसलिए उसने यह परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत किया।
- कविता की पंक्तियों पर गौर करें पश्चिम में शहर / उसी के एक किनारे निर्जन में / दिन की धूप जकड़े है एक अनादृत घर / झुके हुए छज्जे चारों ओर / कमरों में चिर काल की छाया पड़ी है मुंह के बल , और चिरबंदी पुरनियों की गंध।
- बैंक से अनादरण का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाने के 30 दिनों के भीतर चैक का धारक चैक जारी करने वाले व्यक्ति को एक लिखित सूचना प्रेषित करे कि अनादृत चैक की राशि पन्द्रह दिनों में चैक धारक को अदा की जाए अन्यथा चैक देने वाले के विरुद्ध अपराधिक कार्यवाही की जाएगी।
- @ लड़कपन , हमारा पारिवारिक / सामाजिक ताना बाना एक लंबी उम्र तक हमारे लड़कपन ( भ्रम ) को बरकरार रखता है जबकि वयस्कता सत्य है और उसे बहुत पहले जग ज़ाहिर हो जाना चाहिए ! बस यूं समझिए कि आदरणीय / पूज्यनीय और अनादृत / अपूज्यनीय की विभेद रेखा भी ऐसे ही अस्तित्वमान है !
- फिर भी हिन्दी अनादृत है तो इसका कारण यह है कि जिस प्रकार से कुछ लोगों को सुगंध से अप्रियताबोध अर्थात् एलर्जी होती है , ठीक उसी प्रकार से भारत में तथाकथित अभिजात्य वर्ग है, जिसकी नाक के नथुने हिन्दी के सामर्थ्य की सुगंध से फड़कने लगते हैं,फलस्वरूप उन्हें 'अँगरेजियत की छींके' आने लगती हैं अर्थात् एलर्जी हो जाती है।