अनुपलब्धि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इससे हम आपस में जुड जाएँगे और मेरी अनुपलब्धि में भी आपको वर्ग के अन्य संस्कृत विद्वान उचित समाधान प्रस्तुत कर देंगे ।
- उन्होंने कार्य स्वभाव और अनुपलब्धि के अलावा कारण हेतु , पूर्वचर हेतु , उत्तर हेतु और सहचर हेतु को पृथक मानने का समर्थन किया है।
- इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति , भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं।
- इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति , भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं।
- अनुपलब्धि या अभावअभावप्रमाण-- प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों के द्वारा जब किसी वस्तु का ज्ञाननहीं होता , तब `वह वस्तु नहीं है 'इस प्रकार उस वस्तु के` अभाव' का ज्ञानहमें होता है.
- अर्थापत्ति अनुमान में कैसे अंतर्भूत होती है , अनुपलब्धि को स्वतंत्र प्रमाण मानने की क्यों ज़रूरत होती है , तथा वेदों में ग्रंथित विधिवाक्यों का अर्थ कैसे लगाना चाहिए।
- अर्थापत्ति अनुमान में कैसे अंतर्भूत होती है , अनुपलब्धि को स्वतंत्र प्रमाण मानने की क्यों ज़रूरत होती है , तथा वेदों में ग्रंथित विधिवाक्यों का अर्थ कैसे लगाना चाहिए।
- वृत्तिकार ने “तस्य निमित्त परीष्टि : ” पर्यत तीन सूत्रों में प्रत्यक्ष, अनुमान शब्द, अर्थापति और अनुपलब्धि प्रमाणों का सपरिकर विशद विवेचन तथा औत्पत्तिक सूत्र में आत्मवाद का विशेष विवेचन अपने व्याख्यान में किया है।
- वृत्तिकार ने “तस्य निमित्त परीष्टि : ” पर्यत तीन सूत्रों में प्रत्यक्ष, अनुमान शब्द, अर्थापति और अनुपलब्धि प्रमाणों का सपरिकर विशद विवेचन तथा औत्पत्तिक सूत्र में आत्मवाद का विशेष विवेचन अपने व्याख्यान में किया है।
- यहाँ प्रश्न उठेगा कि शशश्रृंग ( या बंध्यापुत्र , खपुष्प ) कभी दिखाई न देने पर भी हम अनुपलब्धि के आधार पर ' शशश्रृं नहीं है ' ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं।