अनेकार्थ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इन तीनों व्याहृतियों का त्रिक् अनेकार्थ बोधक हैं , वे अनेकों भावनाओं का , अनेकों दिशाओं का संकेत करती हैं , अनेकों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं ।।
- एक अन्य प्रमाण से भी यही निर्णय निकलता है कि मंखकोश की टीका का , जो स्वयं मंखक की है, उपयोग जैन आचार्य महेंद्र सूरि ने अपने गुरु हेमचंद्र के अनेकार्थ संग्रह (1180 ई.)
- कांवर के अनेकार्थ पं . ब्रजकिशोर शर्मा ब्रजवासी कांवर शिवोपासना का एक साधन तो है ही लेकिन यह प्रतीक है , शिवत्व संबंधी अनेक भावों और अर्थों का जिसे विद्वज्जन सहज में ही समझ सकते हैं।
- बाकी प्रतुल ने तो इतनी व्याख्या कर दी है पतंग कि कि अब बार बार पढ़ने पर इस यथार्थ चिंतन के अनेकार्थ निकलने लगेंगे . .... बेहतर है .... पर यर्थाथ वही है जो इस में है ......
- छोटे और पूर्ण वाक्य आपकी - कहन - की ताकत को धारदार ( अनेकार्थ ) बना देते हैं और यही वजह है कि एक बार शुरू करने के बाद कहानी खत्म करके ही पढ़ने वाला दम लेता है .
- पाउले का उक्त कथन सही है लेकिन तब , जब विषय की रूचि का सवाल हो या किसी प्रकार का पूर्वाग्रह हो , वहीं पर मेरे अनुभव बताते हैं कि शब्द और उसके भाव सदैव अनेकार्थ लिए होते हैं।
- @ मिश्रा जी अगर आप नाराज हो रहें हैं तो कोई बात नहीं लेकिन आज की पहेली हमें कुछ ऐसी लगी हमने आपसे एकबार पहले भी आग्रह किया था कि अनेकार्थ वाले प्रश्न पहेली में पुछे इससे ज्ञान बढ़ता नहीं भ्रमित होता है।
- एक साथ अनेकार्थ लिए ये पंक् तियॉं जितनी अलौकिक हैं उतनी संसारी भी-और अशोक में धीरे धीरे उदित होते गार्हस् थ् य वैराग् य ने ये पंक् तियाँ कोई ईश् वर के विलाप के निमित् त ही नहीं लिखीं , इनमें उनका अपना विलाप भी ध् वनित है .
- आम धारणाओं से अर्थ के अनेकार्थ निकले जा सकते हैं , शब्दों से खिलवाड़ कर जनभावनाओं को आहत करने की कला भी विकसित की जा सकती है पर यदि हम अपनी मातृभूमि का दिल से यशोगान करना चाहते हैं हैं तो भारत भूमि हो या वतन , वन्दे हो या बन्दे अंतर नहीं पड़ सकता .