अन्त्यानुप्रास का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अन्त्यानुप्रास : जब दो या दो से अधिक शब्दों , अक्षरों , की आवृत्ति छंद के अंत में हो .
- श्रुति-कटु मानकर कुछ अक्षरों का परित्याग , वृत्त-विधान और अन्त्यानुप्रास का बन्धन , इस नाद-सौन्दर्य के निबाहने के लिए है।
- पदों की हिन्दी में दो मुख्य धारा मिलतीं हैं-सूर दास की पद धारा -जिसमें सभी पन्क्तियों में वही अन्त्यानुप्रास रहता है।
- पूछना है कि अन्त्यानुप्रास ही पर इतना कोप क्यों ? छन्द और तुक दोनों ही नाद-सौन्दर्य के उद्देश से रक्खे गए हैं।
- अन्त्यानुप्रास के झमेले तो कितने शब्दों का अंग भंग तक कर देते हैं या उनके पीछे एक पूँछ लगा देते हैं।
- जो लोग अन्त्यानुप्रास की बिलकुल आवश्यकता नहीं समझते उनसे मुझे यही पूछना है कि अन्त्यानुप्रास ही पर इतना कोप क्यों ? छन्द (
- जो लोग अन्त्यानुप्रास की बिलकुल आवश्यकता नहीं समझते उनसे मुझे यही पूछना है कि अन्त्यानुप्रास ही पर इतना कोप क्यों ? छन्द (
- यद्यपि इनमें अन्त्यानुप्रास के निर्वाह का कोई आग्रह नहीं है ताकि मूल बँगला गीतों की भाव-सम्पदा की सुरक्षा में कोई व्यवधान न पड़े।
- यद्यपि इनमें अन्त्यानुप्रास के निर्वाह का कोई आग्रह नहीं है ताकि मूल बँगला गीतों की भाव-सम्पदा की सुरक्षा में कोई व्यवधान न पड़े।
- यद्यपि इनमें अन्त्यानुप्रास के निर्वाह का कोई आग्रह नहीं है ताकि मूल बँगला गीतों की भाव-सम्पदा की सुरक्षा में कोई व्यवधान न पड़े।