अभक्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- च नाशुश्रूषवे वाच्यं न मां योऽभ्यसूयति॥ -गीता ' ' तपस्या-विहीन , अभक्त या जिसको अभी तक इन बातों के सुनने की तीव्र इच्छा न हुई और जो गुरु-सेवा परायण न हो या जो मुझसे ( ईश्वर ) से असूया रखता हो , ऐसे व्यक्ति से बातें न कहनी चाहिए । ''
- न्यायनिष्ठ जज को जिस प्रकार अपने सगे संबंधियों , प्रशंसक मित्रों तक को कठोर दंड देना पड़ता है , फाँसी एवं कोड़े लगाने की सजा देने को विवश होना पड़ता है , वैसे ही ईश्वर को भी अपने भक्त - अभक्त का , प्रशंसक - निंदक का भेद किए बिना उसके शुभ - अशुभ कर्मों का दंड पुरस्कार देना होता है।
- पर्ातः स्मरणीय परम पूज्य संत शर्ी आसारामजी बापू के सत्संग पर्वचन भगवन्नाम जप-मिहमा िनवेदन भगवान का पावन नाम क्या नहीं कर सकता ? भगवान का मंगलकारी नाम दुःिखयों का दुःख िमटा सकता है , रोिगयों के रोग िमटा सकता है , पािपयों के पाप हर लेता है , अभक्त को भक्त बना सकता है , मुदर्े मंे पर्ाणों का संचार कर सकता है।
- पर्ातः स्मरणीय परम पूज्य संत शर्ी आसारामजी बापू के सत्संग पर्वचन भगवन्नाम जप-मिहमा िनवेदन भगवान का पावन नाम क्या नहीं कर सकता ? भगवान का मंगलकारी नाम दुःिखयों का दुःख िमटा सकता है , रोिगयों के रोग िमटा सकता है , पािपयों के पाप हर लेता है , अभक्त को भक्त बना सकता है , मुदर्े मंे पर्ाणों का संचार कर सकता है।
- ( सूतजी का उपदेश श्री शिव महापुराण वायवीय संहिता उत्तर भाग अध्याय ४ ० पृष्ठ ९ ६ ० - ९ ६ १ ) सद्गुरू के मुख से इस २ ४ ६ ७ २ श्लोक वाले शिव महापुराण को एक बार सुनने मात्र से सम्पूर्ण पाप भस्म हो जाते है , जो अभक्त है , उसे शिव भक्ति मिल जाती है और जो भक्त है उनकी प्रभु शिवजी के चरणों में दृढ़ भक्ति हो जाती है।
- ब्लॉग कथामृत का श्रवण चल रहा है -भक्त श्रोता भाव विभोर हो रहे हैं , अभक्त विभक्त हो रहे हैं , हम हकबकाए देख रहे हैं की किस ओर का पाला थामें -यह लगता है पितृपक्ष से आगे भी चलता जायेगा -यह ब्लॉग युग कीकथा है इसकी तर्पण तिथि लाजिमी है कोई दूसरी ही होगी -ये सोंटाधारी जिसकी सिद्धार्थ भी अर्थार्थ निकाल चुके हैं व्याकरण की लिहाज से किस लिंग के हैं -यह एक लघु शंका है !
- ब्लॉग कथामृत का श्रवण चल रहा है -भक्त श्रोता भाव विभोर हो रहे हैं , अभक्त विभक्त हो रहे हैं , हम हकबकाए देख रहे हैं की किस ओर का पाला थामें -यह लगता है पितृपक्ष से आगे भी चलता जायेगा -यह ब्लॉग युग कीकथा है इसकी तर्पण तिथि लाजिमी है कोई दूसरी ही होगी -ये सोंटाधारी जिसकी सिद्धार्थ भी अर्थार्थ निकाल चुके हैं व्याकरण की लिहाज से किस लिंग के हैं -यह एक लघु शंका है !