अभिधारणा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पिछले 35 सालों मंे वैज्ञानिकों द्वारा की गयी माथापच्ची के बावजूद भी स्ट्रिंग थ्यरी महज परिकल्पना के स्तर तक ही सीमित रह पायी है और आगे बढ़कर अभिधारणा में रूपान्तरित नहीं हो सकी है।
- को प्रयोगशाला में निर्मित नहीं किया जा सकता , एक ऐसा कारक जो कोच की अभिधारणा की एक दृढ़ व्याख्या के अंतर्गत निर्णायक रूप से इस जीव की पहचान करने में कठिनाई उत्पन्न कर देता है.
- lepromatosis ) को प्रयोगशाला में निर्मित नहीं किया जा सकता, एक ऐसा कारक जो कोच की अभिधारणा की एक दृढ़ व्याख्या के अंतर्गत निर्णायक रूप से इस जीव की पहचान करने में कठिनाई उत्पन्न कर देता है.
- जब उनसे मैं पहले बार गिरनार पर्वत ( गुजरात ) पर मिला तों आत्मश्लाघा एवं पाश्चात्य अभिधारणा से इतने ओतप्रोत थे कि उन्हें मै एक दक्षिणा के लालच में उन्हें दर्शन कराने वाला भिखारी ब्राह्मण नज़र आया .
- युंग ने माना कि चेतन मस्तिष्क द्वारा दमित सामग्री , फ्रायड की अभिधारणा के अनुसार जो अचेतन बनाती हैं, वे उनकी स्वयं की छाया की धारणा के सदृश ही है, जो कि अपने आप में अचेतन का एक छोटा सा भाग है.
- मज्जाभ आधारित मॉडल अभिधारणा कि HSCs पहले करता है CMEP में हट जाना और एक आम म्येलो -ल्य्म्फोइड पूर्वज ( CMLP), जो एक bipotential मज्जाभ आयकर पूर्वज और एक मज्जाभd-बी पूर्वज मंच के माध्यम से टी और बी कोशिका को अभिधारणा उत्पन्न करता है.
- मज्जाभ आधारित मॉडल अभिधारणा कि HSCs पहले करता है CMEP में हट जाना और एक आम म्येलो -ल्य्म्फोइड पूर्वज ( CMLP), जो एक bipotential मज्जाभ आयकर पूर्वज और एक मज्जाभd-बी पूर्वज मंच के माध्यम से टी और बी कोशिका को अभिधारणा उत्पन्न करता है.
- लेनिन ने मार्क्स की उस अभिधारणा का विस्तार किया कि श्रमजीवी क्रांति से समाजवाद स्थापित करने के लिए श्रमजीवी अधिनायकत्व के राज्य की स्थापना करना आवश्यक है , जो कि समाज को समाजवाद और कम्युनिज़्म के रास्ते पर अगुवाई देने के लिए मजदूर वर्ग का मुख्य साधन है।
- अपनी कृति “ राज्य और क्रांति ” में लेनिन ने मार्क्सवाद और एंगेल्स की उस मूल अभिधारणा की हिफ़ाज़त की कि श्रमजीवी वर्ग के लिए यह जरूरी है कि पूंजीवादी राज्य तंत्र को चकनाचूर कर दिया जाये और उसकी जगह पर एक बिल्कुल नया राज्यतंत्र स्थापित किया जाये जो मजदूर वर्ग की सेवा में काम करेगा।
- वर्तमान भारतीय वातावरण में ईश्वर , भगवान , आत्मा , परमात्मा , महात्मा , अवतार आदि शब्दों के अर्थ और अभिधारणा को एक सोची समझी रणनीति के तहत इतना भ्रामक और गड्ड-मड्ड किया गया है कि यहाँ विद्वानों , प्रोफेसरों , आचार्यों , शोधार्थियों की भीड़ में भी इनके सही अर्थ या भाव को तलाशना कठिन है।