अभिनन्दनीय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- १ . संस्कृत गीत रचना आपने , पूजनीय , आदरणीय , माननीय , पठनीय , वाचनीय , निन्दनीय , वंदनीय , अभिनन्दनीय , दर्शनीय , श्रवणीय इत्यादि , शब्द प्रयोग सुने होंगे।
- वह सत्ता इन दिनों अपनी ओर से उत्सुक और प्रयत्नशील है कि श्रेयाधिकारी आगे आएँ और वह श्रेय प्राप्त करें , जो असंख्यों के लिए प्रेरणाप्रद बने तथा अनन्तकाल तक अनुकरणीय , अभिनन्दनीय समझा जाता रहे।
- वह सत्ता इन दिनों अपनी ओर से उत्सुक और प्रयत्नशील है कि श्रेयाधिकारी आगे आएँ और वह श्रेय प्राप्त करें , जो असंख्यों के लिए प्रेरणाप्रद बने तथा अनन्तकाल तक अनुकरणीय , अभिनन्दनीय समझा जाता रहे।
- यह एक ऐसा अभिनन्दनीय कार्य है जो भारतीय साहित्य की अवधारणा से हमें परिचित कराता है तथा हमें सच्चे अर्थों में भारतीय बना क्षेत्रीय संकीर्णताओं एंव परिसीमाओं से ऊपर उठाकर ' भारतीयता ` से साक्षात्कार कराता है।
- यदि ऐसा है तो एक राष्ट्र भक्त माँ का ह्रदय रख कर इस स्वार्थपरता वाले युग में अपने बेटे को राष्ट्र और समाज के लिए समर्पित होने का उपदेश करना , इक्च्छा रखना निश्चित ही अभिनन्दनीय है ।
- इस अवसर पर आचार्य अनुभूतानंद गिरि महाराज ने कहा कि के ' ावदेव मन्दिर का कण-कण पूज्यनीय है , नित्य वन्दनीय- अभिनन्दनीय है क्योंकि यह स्थल भगवान श्रृ ण के दर् ' ानों का साक्षी रहा है।
- : वीर दुर्गादास जयन्ती पर विशेष : ख्यातो में दुर्गादास मारवाड़ के रक्षक की उपाधि से विभूषित राष्ट्रीय वीर दुर्गादास राठौड़ का व्यक्त्वि कृतित्व ना केवल ऐतिहासिक दृष्टि से उल्लेखनीय है बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अभिनन्दनीय है।
- पश्चिम वाले केवल द्राक्ष संस्कृति को ही जानते हैं लेकिन हम पूर्व वाले रुद्राक्ष संस्कृति को जानते हैं और हमारी संस्कृति से जुड़े हमारे सरोकार हमारे संस्कार बन कर पीढ़ी दर पीढ़ी इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं आपका आलेख अभिनन्दनीय है बधाई !
- बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया द्वारा यहां रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र स्थित ‘ राजमंदिर पैलेस ' में उत्तर-पश्चिम रेलवे के बीकानेर मण्डल के पूर्व मण्डल रेल प्रबन्धक ( डीआरएम ) आलोक रंजन के स्थानान्तरण पर अभिनन्दनीय विदाई एवं नवागन्तुक डीआरएम श्याम सुन्दर गुप्ता का ‘ जिम्मेवारीपरक ' स्वागत किया गया।
- बन्दर - यह भगवान अभिनन्दननाथ का चिन्ह है | बन्दर का स्वभाव चंचल होता है | मन की चंचलता की तुलना बन्दर से की जाती है | हमारा मन जब भगवान के चरणों मे लीन हो जाता है , तो वह भी संसार में वन्दनीय बन जाता है | श्रीराम का परम भक्त हनुमान वानर जाति में जन्म लेता है | अपने चंचल मन को स्थिर करके प्रभु के चरणों में मन लगाने से वह पूजनीय बन गया | इसी प्रकार हम भी तीर्थंकर अभिनन्दननाथ जी के चरणों में मन लगाने से अभिनन्दनीय , वन्दनीय बन सकते हैं |