अर्थ बोध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पहले हम मानविकी का अर्थ बोध कर लें -मानविकी के अधीन प्राचीन और आधुनिक भाषाएँ , भाषा विज्ञान, साहित्य और इतिहास ,न्याय ,दर्शन और पुरातत्व ,संस्कृति , धर्म ,नीति शास्त्र ,आलोचना ,समाज शास्त्र आदि आदि विषय आते हैं .
- कुछ प्राचीन दार्शनिक मानते थे कि असाधु शब्द से अर्थ बोध साक्षात् नहीं होता है , बल्कि असाधु शब्द सुनने पर तदर्थक साधु शब्द का स्मरण होता है और उस स्मृत साधु शब्दों से अर्थ ज्ञान होता है।
- अब इस उदाहरण को क्या कहेंगे आप -हो सकता है यह मानस का प्रक्षिप्त अंश हो मगर ऐसे वाक्य तो प्रचलन में रहे ही हैं और शाब्दिक अर्थ बोध के बजाय भाव बोध पर ज्यादा बल देते हैं !
- शब्द का अर्थ बोध से खुलता है , प्रत्यक्ष अनुभव से खुलता है , यह बात संभवत : त्रिलोचन जी के मन में तभी से बैठ गई थी जब वे अपने गांव चिरानी पट्टी में रहते थे और किशोर वय के थे।
- क् या अखिल के चित्र की भाषा उसी चित्र में अवस्थित अंत : प्रज्ञा की लिपियों से बनती है , जो अक् सर आकारबद्ध आवृतियों में होते हैं , क् या एक जैसे कई सारे आकार अपनी अलग-अलग लिपि यानी अर्थ बोध रखते हैं ?
- पहले हम मानविकी का अर्थ बोध कर लें -मानविकी के अधीन प्राचीन और आधुनिक भाषाएँ , भाषा विज्ञान , साहित्य और इतिहास , न्याय , दर्शन और पुरातत्व , संस्कृति , धर्म , नीति शास्त्र , आलोचना , समाज शास्त्र आदि आदि विषय आते हैं .
- अपने स्वरूप और वेष के गौरव को प्राचीन काल में साधु , ब्राह्मण लोक सेवियों की परम्परा में ही मानते थे , किन्तु आजकल ये शब्द रूढ़ हो गये हैं और वर्ग विशेष का अर्थ बोध कराते हैं , क्योंकि इस नाम से सम्बोधित व्यक्तियों ने भी वही रीति- नीति अपनाना आरम्भ कर दिया जिसे कि सर्वसाधारण अपनाता रहा।
- @ प्रतुल जी , मैंने इस अर्थ बोध को आत्मसात / हृदयंगम कर लिया है और तदनुसार सम्यक आचरण हेतु प्रयासरत रहूँगा -आभार ! मगर मैं कोई समीक्षक / आलोचक के पद योग्य नहीं हूँ -क्यों स् व.प ंडित रामचंद्र शुक्ल जी की आत्मा संतप्त हो ! हम ठहरे अदने से प्राणी ! बस मित्रों से कुछ वाग्विलास मनोरंजन हो जाय यही बहुत है .
- मुझे याद है मेरा एक मित्र दारोगा का बेटा था , दिल से बहुत अच्छा था मगर ऐसी धाराप्रवाह गलियाँ देता था की कान बंद करने पड़ जाते थे-बचपन के अवचेतन में वे गालियाँ बाप से सीख ली थी जिन्हें हार्ड कोर क्रिमिनल पर नियन्त्रण करने के लिए इस्तेमाल में लाना जरुरी रहा होगा -मगर उनके पुत्र गालियों को उनके अर्थ बोध के साथ प्रयोग नहीं करते थे..