अलिन्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस औषधि का उपयोग हृदय के नष्ट होने ( विशेषकर जब अलिन्द विकम्पन ( औरीक्युलर फीब्रिलेशन ) आरम्भ हो जाता है ) में किया जाता है।
- अब तक छपी कविताओं से यह तय हो गया है कि अलिन्द का कवि किसी बड़े बौद्धिक जंजाल में नहीं पड़ना चाहता और शब्दों में ज्यादा उड़ने की इच्छा भी नहीं रखता।
- ह्रदय की प्रत्येक धड़कन के दौरान एक स्वस्थ हृदय में विध्रुवीकरण के लहर की सुव्यवस्थित रूप से क्रमानुसार वृद्धि होती है जो शिरानाल-अलिन्द पर्व की कोशिकाओं के द्वारा सक्रिय कर दी जाती है , अलिन्द से होकर अलग हो जाती है, “अन्तस्थ चालन पथ” से होकर गुजरती है एवं फिर संपूर्ण निलय में फैल जाती है.
- ह्रदय की प्रत्येक धड़कन के दौरान एक स्वस्थ हृदय में विध्रुवीकरण के लहर की सुव्यवस्थित रूप से क्रमानुसार वृद्धि होती है जो शिरानाल-अलिन्द पर्व की कोशिकाओं के द्वारा सक्रिय कर दी जाती है , अलिन्द से होकर अलग हो जाती है, “अन्तस्थ चालन पथ” से होकर गुजरती है एवं फिर संपूर्ण निलय में फैल जाती है.
- ह्रदय की प्रत्येक धड़कन के दौरान एक स्वस्थ हृदय में विध्रुवीकरण के लहर की सुव्यवस्थित रूप से क्रमानुसार वृद्धि होती है जो शिरानाल-अलिन्द पर्व की कोशिकाओं के द्वारा सक्रिय कर दी जाती है , अलिन्द से होकर अलग हो जाती है, “अन्तस्थ चालन पथ” से होकर गुजरती है एवं फिर संपूर्ण निलय में फैल जाती है.
- ह्रदय की प्रत्येक धड़कन के दौरान एक स्वस्थ हृदय में विध्रुवीकरण के लहर की सुव्यवस्थित रूप से क्रमानुसार वृद्धि होती है जो शिरानाल-अलिन्द पर्व की कोशिकाओं के द्वारा सक्रिय कर दी जाती है , अलिन्द से होकर अलग हो जाती है, “अन्तस्थ चालन पथ” से होकर गुजरती है एवं फिर संपूर्ण निलय में फैल जाती है.
- साम्राज्ञी विभ्राट , कभी जाते इसको देखा है समारोह-प्रांगण में पहने हुए दुकूल तिमिर का नक्षत्रॉ से खचित, कूल-कीलित झालरें विभा की गूँथे हुए चिकुर में सुरभित दाम श्वेत फूलॉ के? और सुना है वह अस्फुट मर्मर कौशेय वसन का जो उठता मणिमय अलिन्द या नभ के प्राचीरॉ पर मुक्ता-भर,लम्बित दुकूल के मन्द-मन्द घर्षण से, राज्ञी जब गर्वित गति से ज्योतिर्विहार करती है?
- साम्राज्ञी विभ्राट , कभी जाते इसको देखा है समारोह-प्रांगण में पहने हुए दुकूल तिमिर का नक्षत्रॉ से खचित , कूल-कीलित झालरें विभा की गूँथे हुए चिकुर में सुरभित दाम श्वेत फूलॉ के ? और सुना है वह अस्फुट मर्मर कौशेय वसन का जो उठता मणिमय अलिन्द या नभ के प्राचीरॉ पर मुक्ता-भर , लम्बित दुकूल के मन्द-मन्द घर्षण से , राज्ञी जब गर्वित गति से ज्योतिर्विहार करती है ?