अवगुण्ठन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सात-सात अवगुण्ठन खोल कर देती है एक झलक नायिका जो एक बार भी आज रंगमंच पर नहीं आयी उसकी अप्रस्तुति ही थी उसका अभिनय , देती है जरा-सी झलक क्षण-भर को वह कि खेल जाती है आकाश के नीले इस्पात पर एक गहरी सलवट जैसे छलक गये हों नयन खंजन के जैसे कभी-कभी तुम तुम होती हो , तुम्हारा यही तुम होना एक बार होता है मेरी दुनिया का होना हजार बार।
- जयगोपाल बाबू सर्वसाधारण गांव वालों के सामने जो इस प्रकार बड़प्पन का स्थान घेरे बैठा है , इसके लिए वह मन-ही-मन फूला नहीं समा रहा है उसके मन में बार-बार यह विचार उठ रहे थे कि इस समय चक्रवर्ती और नन्दी घराने का कोई आकर देख जाता तो , कितना अच्छा होता ? इतने में नीलमणि को साथ लिये अवगुण्ठन ताने एक स्त्री सीधी साहब के सामने आकर खड़ी हो गई , बोली- साहब आपके हाथ में मैं इस अनाथ भाई को सौंप रही हूं , आप इसकी रक्षा कीजिए।
- हिमांशु : - मैं कविता का अतार्किक रूप देखता हूँ हरदम - कविता माने वह जो वितान से अधिक तान पर तने ! कविता माने वह जो गति से अधिक सुगति पर टिके ! कविता माने वह जो अर्थ दे वही, जो हमारे भीतर पैदा हुआ ! रूप के कटघरे में कैसा बँधना, संगठन के अवगुण्ठन में क्यों कर कसना ! कविता भी वही जो खुद के रचान पर अर्थसंयुक्त हो सबको ललचाये-लुभाये, कविता का अर्थ भी वही जो पढ़ते हुए सबके अन्दर वही पैदा करे जो वस्तुतः अर्थ है !
- हिमांशु : - मैं कविता का अतार्किक रूप देखता हूँ हरदम - कविता माने वह जो वितान से अधिक तान पर तने ! कविता माने वह जो गति से अधिक सुगति पर टिके ! कविता माने वह जो अर्थ दे वही , जो हमारे भीतर पैदा हुआ ! रूप के कटघरे में कैसा बँधना , संगठन के अवगुण्ठन में क्यों कर कसना ! कविता भी वही जो खुद के रचान पर अर्थसंयुक्त हो सबको ललचाये-लुभाये , कविता का अर्थ भी वही जो पढ़ते हुए सबके अन्दर वही पैदा करे जो वस्तुतः अर्थ है !