×

अशुचि का अर्थ

अशुचि अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. दक्षिणा न देनेवाला ब्रह्मस्वापहारी , अशुचि, दरिद्र, पातकी, व्याधियुक्त तथा अन्य अनेक कष्टों से ग्रस्त हो जाता है, उसकी लक्ष्मी चली जाती है, पितर उसका पिंड नहीं स्वीकार करते और उसकी कई पीढ़ियों, आगे तथा पीछे उसके परिवारिकों को अधोगति मिलती है (ब्रह्मवै.
  2. दक्षिणा न देनेवाला ब्रह्मस्वापहारी , अशुचि, दरिद्र, पातकी, व्याधियुक्त तथा अन्य अनेक कष्टों से ग्रस्त हो जाता है, उसकी लक्ष्मी चली जाती है, पितर उसका पिंड नहीं स्वीकार करते और उसकी कई पीढ़ियों, आगे तथा पीछे उसके परिवारिकों को अधोगति मिलती है (ब्रह्मवै.
  3. दक्षिणा न देनेवाला ब्रह्मस्वापहारी , अशुचि , दरिद्र , पातकी , व्याधियुक्त तथा अन्य अनेक कष्टों से ग्रस्त हो जाता है , उसकी लक्ष्मी चली जाती है , पितर उसका पिंड नहीं स्वीकार करते और उसकी कई पीढ़ियों , आगे तथा पीछे उसके परिवारिकों को अधोगति मिलती है ( ब्रह्मवै .
  4. दक्षिणा न देनेवाला ब्रह्मस्वापहारी , अशुचि , दरिद्र , पातकी , व्याधियुक्त तथा अन्य अनेक कष्टों से ग्रस्त हो जाता है , उसकी लक्ष्मी चली जाती है , पितर उसका पिंड नहीं स्वीकार करते और उसकी कई पीढ़ियों , आगे तथा पीछे उसके परिवारिकों को अधोगति मिलती है ( ब्रह्मवै .
  5. ' ' घर या सापिंड ( मरे या जन्मे से 7 वीं पीढ़ी तक ) में किसी के मर जाने या जन्म लेने से ब्राह्मण दस दिन तक अशुचि रहता और यदि जन्म या मरण के दस दिन के भीतर ही दूसरा जन्म या मरण हो जाये , तो साधारण तया दस दिन के बाद ही दूसरे जन्म और मरण का , भी अशौच मिट जाता हैं।
  6. इसी प्रकार अनात्मा में आत्मबुद्धि अर्थात् जड़ में चेतनभावना और चेतन में जड़भावना करना , अविद्या का चतुर्थ भाग है | यह चार प्रकार की अविद्या संसार के अज्ञानी जीवों को बन्धन का हेतु होके उनको सदा नचाती रहती है | परन्तु विद्या अर्थात् पूर्वोक्त अनित्य, अशुचि, दुःख और अनात्मा में अनित्य, अपवित्रता, दुःख और अनात्मबुद्धि का होना, तथा नित्य, शुचि, सुख और आत्मा में नित्य, पवित्रता, सुख और आत्मबुद्धि करना यह चार प्रकार की विद्या है | जब विद्या से अविद्या की निवृति होती है तब बंधन से छूट के जीव मुक्ति को प्राप्त होता है
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.