अष्टसिद्धि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अविद्या की निवृत्ति हो जाने पर यद्यपि वे मुझ मायापति के सत्यादि लोकों की भोगसंपत्ति , भक्ति की प्रवृत्ति के पश्चात स्वयं प्राप्त होने वाली अष्टसिद्धि अथवा बैकुंठलोक के भगवदीय ऐश्वर्य की भी इच्छा नहीं करते , तथापि मेरे धाम में पहुँचने पर उन्हे ये सब विभूतियाँ स्वयं ही प्राप्त हो जाती है ।
- कहीं कहीं ऐसा भी है कि पर्यायों और जातिभेदों के लिये दूसरी पद्धति अपनाई गई है , जैसे, 'व्रिख' के अंतर्गत तो वृक्षों के पर्याय दिए गए है और 'सुरव्रिख' नाम के अंतर्गत वृक्षों के प्रकार गिनाए गए हैं- 'सुरतर गोरक' सिंसण, देवदार, अष्टसिद्धि, नवनिधि, सत्ताईस नक्षत्र, छत्तिस शस्त्रों आदि के नाम दिए गए है ।
- यदि आप अत्याधिक परेशानिओं या संकटो से घीरे होतो आप राम भक्त हनुमान जी को अपना गुरु बाना कर उनकी कृपा से आप सभी अष्टसिद्धि और नव निधिओं को सरलता से प्राप्त कर सकते है क्योकि हनुमान कल्युग के एसे देव है जो सरलता से प्रसन्न होते है एवं अपअने भक्तो की रक्षा करने हेतु तत्पत होते है।
- सेवक मज़दूर जमींदार या सामंत की जी-जान से सेवा करता है , उसकी तृप्ति के लिए हर तरह का कष्ट सहन कर उसका सारा जुगाड़ करता है, उसके ऐश-आराम व मौजमस्ती की जरूरी बातों की सम्पूर्ति के लिए ज़मींदार की एक हल्की-सी मीठी मुस्कान, या एक ही प्रशंसात्मक शब्द या संकेत मज़दूर के लिए अष्टसिद्धि, नवनिधि से भी ज्यादा मूल्यवान महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- पूजन में अष्टसिद्धि व अष्टलक्ष्मी का आवाह्न कर विधिवत् पूजन करते हुए सूत का 16 तार का धागा लेकर उसमें 16 गांठ लगाकर हल्दी से रंगकर पूजन कर गले में धारण करें , कथा श्रवण करें तथा वैशाख मास के आने पर शुभ दिन विचारकर अक्षत , ् पुष्प आदि से युक्त हो कथा श्रवणकर डोरे को खोलकर ब्राह्मणों को दान-पुण्य , भोजनादि कराकर आनंद की अनुभूति करें।
- अष्टसिद्धि के साथ नवनिधि का सयोंग बनता है और नवमुखी रूद्राक्ष धारक को नवनिधि , हाथी , घोड़े , रथ , दुर्ग , स्त्री , स्वर्ण , शस्त्र , धन , और धान्य मिलने के संयोग बनते है तथापि जो नो मोक्षदायक तीर्थ हैं ( नैमिष , पुस्कर , गया , मथुरा , द्वारका , बद्रीकाश्रम , कु रूक्षेत्र , नमर्दा तथा पुरूषोत्तम ) उनमें स्नान करने का फल प्राप्त होता है ऐसा नारदीय पुराण में लिखा है।