अष्टादश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- * ' अष्टादश ' इस नाम से यह प्रकट होता है कि इस ग्रन्थ में अठारह अध्याय या परिच्छेद हैं।
- पुराणों में निहित सारतत्व को लेकर प्रसिद्ध सूक्ति है कि- अष्टादश पुराणस्य , व्यासस्य वचनम् द्वयं , परोपकाराय पुण्यायाः पापाय परपीड़नम्।
- पर पीड़ा सम नहि अधमाई॥ ” सभी धर्मग्रंथों के समुच्चय का भी यही निष्कर्ष दिया गया है- “ अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचंद्व्यम।
- संस्कृत में 10 से 19 तक की संख्याएं क्रमशः दश , एकादश , द्वादश , … अष्टादश , एकोनविंशति लिखे जाते हैं ।
- डोंगरे जी महाराज ने कहा , आपको व्यास जी के इस श्लोक में समस्त पुराणों का सार मिल जाएगा- अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचन द्वयं।
- यह माना जाता है कि अष्टादश पुराण और पंचम वेद नाम से प्रसिद्धि प्राप्त महाभारत के प्रणेता कृष्ण द्वैपायन नामांतर महर्षि वेदव्यास ही थे।
- ये महाकाव्य प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से लेकर शांतिनाथ , पाश्र्वनाथ, अरिष्टनेमि, सुव्रत स्वामी, अष्टादश तीर्थंकर चरिर्त और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी से संबंधित हैं।
- त्रिपुरा सुन्दरी-तलवाडा ग्राम से 5 किलोमीटर दूर स्थित भव्य प्राचीन त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर हैं , जिसमें सिंह पर सवार भगवती अष्टादश भुजा की मूर्ति स्थित हैं।
- यहां से चौथाई कि . मी . की दूरी पर अष्टादश भुजी काली , त्रिलोचन महादेव , तिल भांडेश्वर एवं मंगला देवी के प्राचीन मंदिर हैं।
- राजशेखर द्वारा “काव्यमीमांसा” में निर्दिष्ट बृहस्पति , उपमन्यु, सुवर्णनाभ, प्रचेतायन, शेष, पुलस्त्य, पाराशर, उतथ्य आदि अष्टादश आचार्यों में से केवल भरत का “नाट्यशास्त्र” ही आजकल उपलब्ध है।