अष्टापद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ऐसे पावन तीर्थ में विलुप्त अष्टापद तीर्थ के आकार को मूर्त रूप दिया गया है जो जैन धर्म और इतिहास की एक विलक्षण घटना मानी जा रही है।
- २ भाविक भक्त जन पूजा रचावे , आठ अनेक प्रकार, प्रकार मेरे प्यारे ..३. भाव नन्दीश्वर तीरथ राजे, पावापुरी है श्रीकार, श्रीकर मेरे प्यारे ...४ चम्पापुरी वर तीरथ अष्टापद, भव जल से तारनहार, हार मेरे प्यारे... .5 सम्मेत शिखर समवशरण की, रचना है आनंद्कार, कार मेरे प्यारे..६. पूज्य हरी
- अखिल भारतीय बंुदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद् के तत्वावधान में प्रथमबार सम्पन्न दो दिवसीय राष्टृीय बंुदेलीभाषा सम्मेलन में बंुदेली के लिये समर्पित राष्ट्ीय अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कवि श्री कैलाष मडबैया द्वारा रचित उनके इक्कीसवें ग्रंथ और हाल ही में कैलाष पर्वत , स्थित अष्टापद तीर्थ पर उन्ही के द्वारा समर्पित , महान काव्य ग्रंथ ‘
- भगवान रिषभदेव के रिषभ आदि चौरासी गणधर थे | चौरासी हजार श्रमण , ब्राह्मी-सुन्दरी आदि साढे तीन लाख श्रामणियां , श्रेयांस आदि साढे तीन लाख श्रावक एवं सुभद्रा आदि पांच लाख चौपन हजार श्राविकाएं प्रभु के धर्म परिवार का अंग थीं | त्रतीय आरक की समा्प्ति में जब तीन वर्ष और साढे आठ मास शेष थे , तब माघ क्रष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान रिषभदेव ने दस हजार श्रमणों के साथ अष्टापद ( कैलाश ) पर्वत से निर्वाण प्राप्त किया |