आजि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वाजपेय यज्ञ की विधि के अन्तर्गत सर्वप्रथम यजमान / इन्द्र तथा अन्य १ ६ जन अपने - अपने रथों में बैठकर एक निश्चित लक्ष्य की ओर , जिसे काष्ठा कहते हैं , आजि / दौड लगाते हैं ।
- शतपथ ब्राह्मण ५ . १ . ५ . १ में आजि धावन से पृथिवी लोक , ब्रह्मा द्वारा रथ चक्र पर साम गान से अन्तरिक्ष लोक व यजमान द्वारा यूप पर आरोहण से देवलोक की उज्जिति का उल्लेख है ।
- ( 1) दूरे उडि घोडा चढि कोथा तुमी जाओ रे, समरे चलि तू आमि हाम ना फिराओ रे हरि-हरि हरि-हरि बोलो रणरंगे झांप दिबो प्राण आजि समर-तरंगें, तुमि कार कि तोमार केलो एसो संगे, रमण ते नाहिं साध, रणजय गाओ रे !
- वह भी कोई देश है महाराज , भाग- 6 पहली मुलाकात , उल्फा की मदद करने के आरोप में कुछ दिन पहले तक टाडा में बंद रहे और अब अपना बिल्कुल नया अखबार जमाने में लगे “ आजि ” के संपादक अजित भुंईया से हु ई.
- हे भईया , अब देखइ वाली बात ई बा कि कलकत्ता आइ के , के नाहीं फंसा ? अइ अपने तरफ बंगाल का काला जादू का किस्सा-किहिनी कम सुना थ ~ ? अउर आजि पहिली बार सुना कि हमहूँ के देखि के केउ मखा थ. .. : - )
- प्रणयकांत कभी-कभी रात को उसके नंबर पर ट्राई करते , वहाँ से एंगेज टोन आने पर उनके दिल में एक हँसी उठती थी , वे आजि , जी खीझ और क्रोध में घंटों कोशिश करते और एक गुबार , एक हताशा भरी साँस के साथ वापस लौटते , ' सोनल इतनी देर तक उससे बातें करती है।
- इकोनोमी , मार्केट और रियल इस्टेट तमाम मुद्दों के अलावा इस दिन 1980 s के सबसे चालू गानों ( जैसे कि “ परिबतो के आजि मैं तकरा गया ” और “ तेरी मेहरबानियाँ ” etc etc ) की जुगलबंदी के साथ जादू ने ये भी सीखा की सबसे घटिया और चालू फ़िल्मी गानों का मज़ा कैसे लिया जा ए.
- वनदेवियों ने उस एकान्त रात में अपूर्व गायन सुना- ( बंगला यथावत ) ( 1 ) दूरे उडि़ घोड़ा चढि़ कोथा तुमी जाओ रे , समरे चलि तू आमि हाम ना फिराओ रे हरि-हरि हरि-हरि बोलो रणरंगे झांप दिबो प्राण आजि समर-तरंगें , तुमि कार कि तोमार केलो एसो संगे , रमण ते नाहिं साध , रणजय गाओ रे !
- रसाद जी के ” मंत्रपाठ ” ( 1991 ), ” गर्भगृह” (1993 ), प्रमोद जी के ” देवी पाद ” ( 1981 ) और “अकात कात”(1995), मनोरमा जी के “एकला नईर गीत”(1990),'थरे खालि डाकि देले ‘( 1992 ) , परिछा पटनायक जी के ‘ अथय सूर्य' ( 1990 ), और ‘ सबु अंधार आजि राति रे ‘ ( 1992 ), इत्यादि ।.