आत्मजा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- और करूँगी क्या कहकर मैं शमित कुतुहल को भी ? मैं अदेह कल्पना , मुझे तुम देह मान बैठे हो ; मैं अदृश्य , तुम दृश्य देख कर मुझको समझ रहे हो सागर की आत्मजा , मानसिक तनया नारायण की .
- रविदास मेहता की ‘ आदि मानव ' , राजेन्द्र परदेसी की ‘ जजिया ' , ‘ जयन्त की ‘ आत्मजा ' , रमाकांत क्षितिज की ‘ एक और गया ' , श्याम सुन्दर चौधरी की ‘ दूर होते हुए भी ' , श्याम कुमार पोकरा की ‘ छोटी सी खुशी ' , रणीराम गढग़ाली की - ‘
- कवि क्या किसी ने भी उसकी आवाज़ कभी नहीं सुनी थी . ..बातों का जवाब वो पलकें झपका के ही देती थी...हाँ भ्रम जरूर होता था...पूर्णिमा की उजास भरी रातों में जब चांदनी उतरती थी तो उसके एक पैर की पायल का घुँघरू मौन रहने की आज्ञा की अवहेलना कर देता था...कवि को लगता था की बेटी के लिए आत्मजा कितना सही शब्द है, वो चाँद की आत्मा से ही जन्मी थी.
- रिश्तों और आकाश से बरसती कड़ाके की ठंड को तन मन पर ओढ़े , अपने ही आँसुओं में मानो जम से गए थे वह और उनकी काया की काल कोठरी में भटकती चेतना, बार बार बस वही एक असह्र सवाल पूछे जा रही थी उनसे, तो क्या मनु भी न समझ पाई उन्हें और उनकी सोच को- उनके अपने शरीर का ही नहीं, मन और आत्मा का भी अभिन्न हिस्सा? उनकी अपनी आत्मजा मनु के लिए भी वह औरों की तरह पराए ही थे-एक पहेली ही थे!
- चेतना , विश्व-योजना , श्रम-तत्परता दे दुर्जन-हन्ता, सज्जन भारत ,, सत -उर्वरता दे शब्दिका सड़ने लगा पानी पुनह, पुण्यघट रीते देवता के द्वार से लौटे कलश रीते पात्र का मंजन निरंतर , भावना से हृदय अंतर सुद्ध सात्विकता के पुजारी , हो गए इतिहास बीते कल क्रम से हारती हर जीत , आरती के उत्स का संगीत साधना सातत्य का पर्याय , अवरोध और व्यतिक्रम पलीते है समय की आत्मजा नियति , उम्र चढ़ते ही विदा 'सुमति' भंवर भवरों को नहीं भांवर, मधु विरत रसवंत सोम ही पीते गीत ह्रदय योग कर दे ,हमें मीत कर दे