आत्मवंचना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यह सोचकर बड़ी हैरानी होती है कि चैनल हेड कमर वहीद नकवी ने क्या सोच कर यह अहम जिम्मेदारी अजय कुमार जैसे आत्मवंचना में लिप्त शख्स को सौंपी ? हैरानी इसलिए ज्यादा है क्योंकि नकवी खुद आउटपुट से जुड़े रहे हैं।
- यह बात इसलिए ज्यादा बल देकर रेखांकित करना जरूरी है क्योंकि हमारे राष्ट्रीय जनजीवन में पर्यावरण के प्रतिगामी और विनाशकारी लक्षण जितनी तेजी से दिखाई पड़ रहे हैं , वैसी प्रवृत्तियां एक समृद्ध पर्यावरणीय चिंतन वाले देश में पनपना आत्मवंचना का साक्षात प्रमाण है।
- यह बेचैनी थी जिन्दगी के असलियत को पहचानने की , भारतीय जीवन के भयानक शब्दहीन अंधकार को , नैराश्य , कुंठा , अवसाद , आत्मवंचना और आत्मपरस्ती के इतिहास बोध को भेद कर मानव - विरोधी व्यवस्था और संस्कृति पर मारक प्रहार करने की।
- यह बेचैनी थी जिन्दगी के असलियत को पहचानने की , भारतीय जीवन के भयानक शब्दहीन अंधकार को , नैराश्य , कुंठा , अवसाद , आत्मवंचना और आत्मपरस्ती के इतिहास बोध को भेद कर मानव - विरोधी व्यवस्था और संस्कृति पर मारक प्रहार करने की।
- स्वयं को श्रेष्ठ और प्रबुद्ध और दूसरों को हीन और अल्पज्ञ समझने की दंभ पूर्ण और आग्रही वृत्ति ने कहीं हमें सच्चाई का विरोधी तो नहीं बना दिया है ? कहीं हम आत्म-मुग्धता और आत्म-तुष्टि में आत्मवंचना ( Self Deception ) का शिकार तो नहीं हो गए हैं ?
- बड़ी मुश्किलों को दौर होता है जब आदमी होना संत्रास बन जाए हमारे सोच की परिधि सिर्फ अपने को ही घेर ले तो खुद से भय होता है इस तिलिस्म से छूटने की छटपटाहट किसमें नहीं होती लेकिन हम सब आत्मवंचना में जी रहे हैं अपना लहू पी रहे हैं।
- हमारे समाज ने ढोंग , आत्मवंचना को जितना ही अधिक आश्रय दिया है , उतना ही हर एक व्यक्ति अपने विचारों को स्वतन्त्रतापूर्वक प्रकट करने में असमर्थ है , समाज का हर एक व्यक्ति अपने लिये तो नहीं चाहता , लेकिन दूसरे को जैसे हो तैसे धोखा देकर अपना काम बनाना चाहता है।
- हमारे समाज ने ढोंग , आत्मवंचना को जितना ही अधिक आश्रय दिया है , उतना ही हर एक व्यक्ति अपने विचारों को स्वतन्त्रतापूर्वक प्रकट करने में असमर्थ है , समाज का हर एक व्यक्ति अपने लिये तो नहीं चाहता , लेकिन दूसरे को जैसे हो तैसे धोखा देकर अपना काम बनाना चाहता है।
- ( जारी ) अभिशप्त घर आत्मवंचना बड़ी मुश्किलों को दौर होता है जब आदमी होना संत्रास बन जाए हमारे सोच की परिधि सिर्फ अपने को ही घेर ले तो खुद से भय होता है इस तिलिस्म से छूटने की छटपटाहट किसमें नहीं होती लेकिन हम सब आत्मवंचना में जी रहे हैं अपना लहू पी रहे हैं।
- ( जारी ) अभिशप्त घर आत्मवंचना बड़ी मुश्किलों को दौर होता है जब आदमी होना संत्रास बन जाए हमारे सोच की परिधि सिर्फ अपने को ही घेर ले तो खुद से भय होता है इस तिलिस्म से छूटने की छटपटाहट किसमें नहीं होती लेकिन हम सब आत्मवंचना में जी रहे हैं अपना लहू पी रहे हैं।