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आर्त्त का अर्थ

आर्त्त अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. आर्त्त मनुष्य कौन सा कुकर्म नहीं करता ? ऐसा हृदय में जानकर सुजान उत्तम दानी जगत् में माँगने वाले की वाणी को सफल किया करते हैं ( अर्थात् वह जो माँगता है , सो दे देते हैं ) ॥ 4 ॥
  2. अनजानी भूलों पर भी वह , अदय दण्ड तो देती है, पर बूढों को भी बच्चों-सा, सदय भाव से सेती है॥ तेरह वर्ष व्यतीत हो चुके, पर है मानो कल की बात, वन को आते देख हमें जब, आर्त्त अचेत हुए थे तात।
  3. जीवन के प्रति सदा आशावादी दृष्टिकोण रखने वाले नरेंद्र यह मानते रहे कि मनुष्य कितनी ही अवनति की अवस्था में क्यों न पहुँच जाए , एक समय ऐसा अवश्य आता है जब वह उससे बेहद आर्त्त होकर एक उर्ध्वगामी मोड़ लेता है और अपने में विश्वास करना सीखता है।
  4. नलिन का आर्त्त कंठ परिश्रांत एवं मौनप्राय हो चला था कि किसी और निकटवर्ती जीव की भीत एवं कातर ध्वनि कर्ण-गोचर होने लगी तथा उसके संग-संग ही धावमान मनुष्यों का दूरवर्ती चीत्कार शब्द उसके साथ मिश्रित होकर मंदिर के सम्मुखवर्ती मार्ग पर एक कोलाहल के रूप में उत्थित हो उठा।
  5. सरल तरल जिन तुहिन कणों से , हँसती हर्षित होती है,अति आत्मीया प्रकृति हमारे, साथ उन्हींसे रोती है!अनजानी भूलों पर भी वह, अदय दण्ड तो देती है,पर बूढों को भी बच्चों-सा, सदय भाव से सेती है॥तेरह वर्ष व्यतीत हो चुके, पर है मानो कल की बात,वन को आते देख हमें जब, आर्त्त अचेत हुए थे तात।
  6. कबीर के व्यक्तित्व का दूसरा पहल वह है , जिसके तहत वे एक नितांत, सौम्य, कातर, आर्त्त, विनीत, मृदु और तरल रूप में हमारे सामने आते हैं-खासतौर से अपनी भक्ति के स्तर पर जहाँ वे कभी राम के 'कूता' हैं, कभी अपने हरि के बालक, या फिर जब वे यह कहते है कि सुखिया सब संसार है, खावे और सोवे, दुखिया दास कबीर है, जागे और रोवै।
  7. उसकीसारी आर्त्त विकलता दूर हो जाती है ! रह जाता है तृप्ति और आनंद का सुखद बोध! इस प्रकार एक-एक नदी का स्वतंत्र व्यक्तित्व है और निजी प्रेम-कथा है, जिसेअद्भुत श्लोकों में बाँध कर कवि ने प्रस्तुत किया है, गंगा तट के इस मनोरमदृश्यने सारे 'मेघदूत' को स्पष्ट कर दिया, परन्तु उस दिन इससे भी बढ़ करके एक अद्भुतदृष्य देखने को मिला था, जैसा कि कभी नहीं देखा था.
  8. संशप्तकों से युद्ध समाप्त करके जब अर्जुन वापस आया तो वह दुखपूर्ण समाचार सुनकर मूर्च्छित हो उठा और अभिमन्यु के लिए आर्त्त स्वर से रुदन करने लगा | श्रीकृष्ण ने उसे काफी धैर्य बंधाया , लेकिन अर्जुन का संताप किसी प्रकार भी दूर नहीं हुआ | प्रतिशोध की आग उसके अंतर में धधकने लगी और जब तक जयद्रथ को मारकर उसने अपने बेटे के खून का बदला न ले लिया , तब तक उसको संतोष नहीं आया |
  9. कबीर के व्यक्तित्व का दूसरा पहल वह है , जिसके तहत वे एक नितांत , सौम्य , कातर , आर्त्त , विनीत , मृदु और तरल रूप में हमारे सामने आते हैं-खासतौर से अपनी भक्ति के स्तर पर जहाँ वे कभी राम के ' कूता ' हैं , कभी अपने हरि के बालक , या फिर जब वे यह कहते है कि सुखिया सब संसार है , खावे और सोवे , दुखिया दास कबीर है , जागे और रोवै ।
  10. कबीर के व्यक्तित्व का दूसरा पहल वह है , जिसके तहत वे एक नितांत , सौम्य , कातर , आर्त्त , विनीत , मृदु और तरल रूप में हमारे सामने आते हैं-खासतौर से अपनी भक्ति के स्तर पर जहाँ वे कभी राम के ' कूता ' हैं , कभी अपने हरि के बालक , या फिर जब वे यह कहते है कि सुखिया सब संसार है , खावे और सोवे , दुखिया दास कबीर है , जागे और रोवै ।
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