आसीस का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जन्म : 19 मार्च,1949 शिक्षा : एम ए-हिन्दी (मेरठ विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में) ,बी एड प्रकाशित रचनाएँ : ‘माटी, पानी और हवा', ‘अंजुरी भर आसीस', ‘कुकडूँ कूँ', ‘हुआ सवेरा' (कविता
- मुखविर की सूचना पाकर थाना प्रभारी विरेन्द्र सिंह यादव एसएसआई चन्द्र प्रकाश चतुर्वेदी एसआई संनद मिश्रा एसआई धर्मेन्द्र राठौर , हैडका लोकेन्द सिंह , कुलवीर आसीस ने वधला फाराक पर चेकिंग करने लगे।
- इनकी प्रमुख कृतियाँ माटी , पानी और हवा , अँजुरी भर आसीस , कुकड़ूकूँ , हुआ सवेरा , असभ्य नगर ( लघुकथा संग्रह ) , खूँटी पर टँगी आत्मा ( व्यंग्य -संग्रह ) हैं।
- प्रकाशित रचनाएँ : 'माटी, पानी और हवा', 'अंजुरी भर आसीस', 'कुकडूँ कूँ', 'हुआ सवेरा' (कविता संग्रह), 'धरती के आंसू', 'दीपा', 'दूसरा सवेरा' (लघु उपन्यास), 'असभ्य नगर' (लघुकथा “संग्रह), अनेक संकलनों में लघुकथाएँ संकलित तथा गुजराती, पंजाबी, उर्दू एवं नेपाली में अनूदित.
- जहाँ हिन्दी की भिन्न शैलियों की तुलना की जा रही हो - अगर कहा जा रहा है कि भोजपुरी में “ आसीस ” होता है जबकि मानक हिन्दी में “ आशीष ” होता है तो इनमें से किसी रूप को न बदलें।
- पंडित स्यामलाल चतुर्वेदी , डा. विमल पाठक, डॉ. विनय पाठक, पवन दीवान, लक्ष्मण मस्तुरिया, रामेस्वर वैस्नव, सुरजीत नवदीप, नंदूलाल चोटिया, श्रीमती प्रभा सिंह, ममता चन्द्राकर, परेदीस राम वर्मा, सुसील यदु अउ बहुत झन कवि मनपांव छू के साहित्य के दिव्य पुरूष से आसीस लेथे ।
- आसीस “ सुमनी ने अपनी साड़ी ठीक करते हुए कहा | ” माँ , मैं दिन में जाऊँगा | पर तुम कहाँ जा रही हो अभी ? “ रमेश ने आँख मीचते हुए पूछा | ” मेरे को जाने दे और तू अभी वो कर जो मैंने कहा , जा ” सुमनी लगभग चीख उठी |
- विवाहपूर्व कितनी भी संख्या में चूड़ियाँ पहन लें कोई कुछ नहीं कहता , पर विवाहोपरांत तो याद दिलाया जाता है कि चूड़ी पहनते अथवा खरीदते समय संख्या विषम होनी चाहिए , अर्थात एक कलाई में दूसरी कलाई से एक चूड़ी अधिक पहनते हैं , इस चूड़ी को “ आसीस ” अथवा “ सुहाग ” की चूड़ी भी कहते हैं और दुकानदार इसके पैसे भी नहीं लेते हैं ......
- यहां ' गिरवी जीवन ' में लोकप्रिय देवता महादेव-पार्वती की उपस्थिति और गणेश को ब्याह की पहली कुंकुम-पत्रिका चढ़ाये जाने की परम्परा के लिए रची गई कथा तथा इसके साथ ' आसीस ' के चापलूसी पसंद , महल तक सीमित रहने वाले राजा के राजकीय व्यवस्था पर रची कथा और ' मनुष्यों का गड़रिया ' के खुदा की खुदाई का उल्लेख संकलन की अलग-अलग रंग-छटाओं की दृष्टि से आवश्यक है।
- यहां ' गिरवी जीवन ' में लोकप्रिय देवता महादेव-पार्वती की उपस्थिति और गणेश को ब्याह की पहली कुंकुम-पत्रिका चढ़ाये जाने की परम्परा के लिए रची गई कथा तथा इसके साथ ' आसीस ' के चापलूसी पसंद , महल तक सीमित रहने वाले राजा के राजकीय व्यवस्था पर रची कथा और ' मनुष्यों का गड़रिया ' के खुदा की खुदाई का उल्लेख संकलन की अलग-अलग रंग-छटाओं की दृष्टि से आवश्यक है।