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आस्रव का अर्थ

आस्रव अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. कोई पापकर्मी गर्भ से मनुष्य या पशुयोनि में उत्पन्न होते हैं , कोई नरक हो , और कोई सुमति द्वारा स्वर्ग को जाते हैं , तथा जिनके आस्रव नहीं रहा वे परिनिर्वाण को प्राप्त होते हैं।
  2. वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण , एकत्व , अन्यत्व , संसार , लोक , अशुचित्व , आस्रव , संवर , निर्जरा , धर्म और बोधि।
  3. वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण , एकत्व , अन्यत्व , संसार , लोक , अशुचित्व , आस्रव , संवर , निर्जरा , धर्म और बोधि।
  4. लगभग दो हजार पाँच सौ उन्तीस वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे की वह पहले पहर की रात जब खो गये सारे रास्ते , रज भी शान्त हुआ, आस्रव रुद्ध हो चले और तुमने कहा कि दुख का भी अन्त हुआ
  5. मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है- “जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है , तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं, उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है (गा.
  6. मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है- “जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है , तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं, उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है (गा.
  7. लगभग दो हजार पाँच सौ उन्तीस वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे की वह पहले पहर की रात जब खो गये सारे रास्ते , रज भी शान्त हुआ , आस्रव रुद्ध हो चले और तुमने कहा कि दुख का भी अन्त हुआ
  8. लगभग दो हजार पाँच सौ उन्तीस वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे की वह पहले पहर की रात जब खो गये सारे रास्ते , रज भी शान्त हुआ , आस्रव रुद्ध हो चले और तुमने कहा कि दुख का भी अन्त हुआ
  9. मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है- “ जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है , तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं , उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है ( गा . 92 - 93 ) ।
  10. ग्रन्थ के दस अध्यायों में से प्रथम के चार अध्यायों में जीव तत्त्व का , पांचवें अध्याय में अजीव तत्त्व का , छठवें और सातवें अध्याय में आस्रव तत्त्व का , आठवें अध्याय में बन्ध तत्त्व का नवमें अध्याय में संवर और निर्जरा का और दशवें अध्याय में मोक्ष तत्त्व का वर्णन किया गया है।
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