इतराज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- क् या मुसलमान अपनी मां की इज् जत नहीं करते ? जो कह रहे हैं कि हम अल् लाह के अलावा किसी और की प्रार्थना नहीं कर सकते ? यदि अपनी सगी मां की इज् जत कर सकते हो तो देश भी मां है उसकी इज् जत करने में इतराज क् या है ?
- इसका बीज गान्धी की महत्वकाक्षा मे निहीत है जो हिन्दुओ के कन्धो पर पैर रख उपर उठा नेता बना उन्ही हिन्दुओ से गदारी की मुसलमान तो उसे नेता मानते नही थे उनकी नजर मे नेता बनने के लिए हर कदम पर हिन्दुओ का बुराकिया हिन्दुओ पर हुए अत्याचार पर कभी इतराज नही किया चाहे मालाबार हो या दूसरी जगह .
- @ लडके तो टॉप लेस घूम सकते हैं आप भी घूमिये हम तो तब आप को बराबर समझेगे या शर्टपहने पुरुष अपने वक्ष को खोल कर दिखाते हुए अक्सर दिख जाते हैं -आईये हमें कोई इतराज नहीं है आप भी ऐसा परिधान पहनिए -आगे आईयेहिम्मत दिखाईए -ये कुतर्क सामाजिक कंडिशनिंग का नतीजा हैं . ....... ऐसे लोगों को कुछ भी समझाना तो दीवार से सर टकराने जैसा है .
- यह बात यहीं कहनी उचित रहेगी -क्योंकि यहाँ पब्लिक ( मजमा ) काम भर का जुट गया है : ) शर्ट पहने पुरुष अपने वक्ष को खोल कर दिखाते हुए अक्सर दिख जाते हैं -आईये हमें कोई इतराज नहीं है आप भी ऐसा परिधान पहनिए -आगे आईये हिम्मत दिखाईए -हम आपका स्वागत करते हैं ! जब ऐसा करने की पहल आप करें तभी लंतरानी छेड़े ! है हिम्मत ?
- शुभेंदु ने यही बतलाया कि फैज़ ने लिखा है और शीर्षक है ' दुआ'।अब सही लफ्ज़ के लिए घर से 'सारे सुखन...' लाना पड़ेगा, फिलहाल जो ठीक लगता है, लिख देते हैं:आइए हाथ उठाएँ हम भीहम जिन्हें रस्म-ए-दुआ याद नहींहम जिन्हें सोज़-ए-मुहब्बत के सिवा कोई बुत कोई खुदा याद नहींतो यह तो उस जनाब के लिए जिसे आइए हाथ उठाएँ हम भी पर जरा पता नहीं इतराज है क्या है, उसे पैर उठाने की चिंता है।
- हर शाम वे प्रणय गड्ढे गुलजार होते थे -एकाध में तो हम बाकायदा झाँक कर रतिलीला भी देखते थे -न उन्हें कोई इतराज था न हमें -श श श . ... प्रेम चालू आहे ! बनारस में ही एक नवयौवना पड़ोस के छत पर शोहदों के आते ही नग्न हो जाती थी और अपने वक्ष का खुला प्रदर्शन करती थीं -वैशाली की नगरवधू भी उनके सामने फेल -हमें तो वह भी बुरा नहीं लगता था वरन हमारे नारी सौन्दर्य परकता में इजाफा ही होता था ...
- लालू जी के स्टॅंडिंग कमेटी मे होंन से सिवाल सोशियटी क इतराज होना जायज़ है | किओ के कोई इसमे इमानदर / बेदाग नुमाइंदा ही अग्गे लानाँ चाहिए जो खुद घोटालो मे संलिप्त है उनको काएसेजनता वश्वास करेगी | लालू जी तो वहक़ानून ब्नआइएंगे जी घोटालो वालो क समर्थन करते ह | ये लोक्तन्तर से विश्वास घात है | किया जनता मोजूदा सरकार पर विश्वास केरेगी ? किया सरकार क नियत साफ है ? किया जनता सरकार ब्नाना जानती है ? गिरानानही ? किया जनता सरकार से उमिद कर सकती है ?
- १५ ) सोनी जी बिलकुल सच कहा आपने, जीजा वो जीजा कैसा जिसने साली की न ली हो और साली वो साली कैसी जिसने जीजा को न दी हो, मेरी तीन सालिया हैं, सचमुच वे तीनो बहुत भोली हैं और अच्छी हैं, मैंने दो सालियों की बहुत प्यार से ली है अब उनकी शादी हो गयी है, लेकिन उन्हें मुझे देने में कोई इतराज नहीं है, मेरे साढू ( साली के पति ) भी मस्त है, कहते है भाई साहेब ये इसकी इच्छा की बात है जब इसकी रजामंदी होगी मैं आप के लिए इसे रोक नहीं सकता