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ईशोपनिषद का अर्थ

ईशोपनिषद अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ईशोपनिषद के अनुसार मनुष्य को भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनोंही क्षेत्रों में सक्रिय रहना चाहिए . आर्थात आज के सन्दर्भ में मनुष्य भौतिक उन्नति के लिए तो प्रयत्नशील रहे ही किन्तु आध्यात्मिकता में भी रुचि ले.
  2. मनुष्य मन के गहन मीमांसक महात्मा गांधी ' ईशोपनिषद' के इस सूत्र को जीवन का मंत्र मानते थे, आइये; हम भी इसके संदेश को गुनें या नहीं, पर सुनें तो- ईशावास्यम् इदम सर्वम्, यत किं च जगत्यां जगत।
  3. मनुष्य मन के गहन मीमांसक महात्मा गांधी ' ईशोपनिषद' के इस सूत्र को जीवन का मंत्र मानते थे, आइये; हम भी इसके संदेश को गुनें या नहीं, पर सुनें तो- ईशावास्यम् इदम सर्वम्, यत किं च जगत्यां जगत।
  4. - ईशोपनिषद ) क्या प्रभू झूठी गप्प से भूलनेवाला है ? प्रभु ने कहा है , ‘ त्वं स्त्री त्वं पुमानसि त्वं कुमार उत वा कुमारी ‘ ( तुम्हीं स्त्री हो और तुम्ही पुरुष ; तुम्ही क्वाँरे हो और तुम्हीं क्वाँरी ।
  5. क्या नारी जीवन सच्चे अर्थों में ईशोपनिषद में दिए हुए भारतीयता के मूल मन्त्र “ तेन त्यक्तेन भुंजीथा ” एवं “ विद्या सह अविद्या यस्तत वेदोभय सह ” अथवा “ सम्भूतिं च असम्भूतिं च यस्तद्वेदोभय सह ” को चरितार्थ नहीं करता . ..
  6. इसके बाद नरेंद्र जी ने पूछा , 'तुमने वैदिक साहित्य पढ़ा? 'अगर नहीं तो जाओ जाकर पढ़ो- ऋग्वेद-जिसमें दो उपनिषद अनुस्यूत हैं पढ़ो, अथर्ववेद-जिसमें उनतालीस उपनिषद अनुस्यूत हैं पढ़ो, सामवेद-जिसमें छांदोग्य और केन उपनिषद अनुस्यूत हैं पढ़ो, शुक्ल यजुर्वेद-जिसमें वृहदाराण्यक और ईशोपनिषद अनुस्यूत हैं पढ़ो।'
  7. ईशोपनिषद में ही अतिशय ज्ञानियों को तो और भी दुत्कारा गया है . ....जो महज ज्ञान के लिए ही ज्ञान को उन्मुख रहते है मैं तो उसी निम्न कोटि का हूँ हा हा .... आपकी यह पोस्ट किसी बड़े चिंतन भावभूमि की पूर्व पीठिका है तो ठीक है !
  8. पूर्व सेना प्रमुख ने अपनी बात धर्म-अध्यात्म-से प्रारंभ की थी ; उन्होंने रामायण , महाभारत , ईशोपनिषद , के उदाह्रानो से अहिंसा-समता-भाईचारा कायम रखने वाली व्यवस्था की जरुरत से लेकर ईराक , अफगानिस्तान और लीबिया पर पश्चिमी राष्ट्रों की हथियार खपाऊ हिंसक प्रवृत्ति को श्रोताओं के सामने विस्तार से उजागर किया .
  9. पूर्व सेना प्रमुख ने अपनी बात धर्म-अध्यात्म-से प्रारंभ की थी ; उन्होंने रामायण , महाभारत , ईशोपनिषद , के उदाह्रानो से अहिंसा-समता-भाईचारा कायम रखने वाली व्यवस्था की जरुरत से लेकर ईराक , अफगानिस्तान और लीबिया पर पश्चिमी राष्ट्रों की हथियार खपाऊ हिंसक प्रवृत्ति को श्रोताओं के सामने विस्तार से उजागर किया .
  10. बहुत शानदार पोस्ट , प्रवीण जी बधाई.-आपके द्वारा पढी गई, बताई गई तथा अन्य हज़ारों पुस्तकें, शास्त्र तथा गीता का भी जो मूल विचार है उसका श्रोत एवं मानव धर्म का श्रेष्ठतम विचार-यज़ुर्वेद के ४० वें अध्याय, ईशोपनिषद के ये तीन श्लोक हैं- १.-'अन्धतम प्रविशन्ति अविद्ययाम न उपासते ; ततो भूय यतो येऊ अविद्याया रता।
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