उघड़ा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अब ठीक है | उसका उघड़ा तन मुझे शेषनाग की तरह सुरक्षित छाया प्रदान कर रहा है | मैं पूर्णतः आश्वस्त हूँ | हाँ ! इतना नंगा आदमी कम से कम मानव बम तो नहीं हो सकता......|
- गर्दन को उभार देती हुई साड़ी और एक सिरा कंधे पर , जब कोई महिला चलती है तो रेशमी सलवटें सरसराती हैं और उघड़ा हुआ पेट, भले ही कमर का साइज़ कुछ भी हो, वो सौम्य भी होता है और सांकेतिक भी.
- सूखे तन पे बरसती भीतरी बारिश में भीग-भीग जाती हूँ मैं अन्तर्मन से ! गीली मेरी धोती चिपकी मुझ से क़ोफ़्त है कितनी उघड़ा है बदन ! भीतर चल रहे अंधड़ कँपकँपा जाते हैं दिखती हूँ जीवन जीती भीतर ही भीतर रिसती!
- एक तो लिंग के सुपारे में कोई मैल या गंदगी नहीं छिपी रह सकती जिससे वह स्वच्छ रहता है और दूसरा यह कि सुपारा सदैव उघड़ा रहता है जिस कारण उसकी धीरे धीरे संवेदनशीलता कम हो जाती है और चरमोत्कर्ष तक पहुँचने में थोड़ा अधिक समय लगता है।
- भूख ही उनको बुधिया के प्रति ऐसा व्यवहार करने पर विवश कर रही है वरन् तो घीसू कहता है ' ' मेरी औरत जब मरी थी , तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नहीं , और फिर मुझसे लजायेगी कि नहीं ? जिसका कभी मुंह नहीं देखा ; आज उसका उघड़ा हुआ बदन देखूं।
- जिस समाज में व्याभिचार की कोई सीमा नहीं , जिस समाज में धर्म-अधर्म का मर्म नहीं , जिस समाज की अपनी मर्यादा नहीं और झुठ-फरेब , छल-प्रपंच , त्रिया-चरित्र , बेइमानी रग रग में समाया हो वह प्रेम की मर्यादा क्या जाने ? या कि उसके लिए ढकी हुई मर्यादा , मर्यादा है , छुपा हुआ इज्जत , इज्जत है और उघड़ा हो प्रेम कलंक।
- ( डी एच लारेंस की एक कविता मे प्रेम-प्रसंग में एकाएक बिज़ली चमकने पर पुरुष अपना प्रेमालाम छोड़कर छिटककर अलग हो जाता है , क्योंकि ' द लाइटनिंग हैज़ मेड इट टू प्लेन ' बिज़ली ने उस व्यापार को उघड़ा कर दिया ! ) और इस आन्तरिक संघर्ष के उपर जैसे काठी कस कर बाह्य-संघर्ष भी बैठा है , जो व्यक्ति और व्यक्ति का नही , व्यक्ति-समूह और व्यक्ति-समूह का , वर्गों और श्रेणियों का संघर्ष है।
- अच्छा खंडित सत्य सुघर नीरन्ध्र मृषा से अच्छा पीड़ित प्यार अकंपित निर्ममता से अच्छी कुंठा रहित इकाई सांचे ढले समाज से अच्छा अपना ठाठ फकीरी मंगनी के सुख साज से अच्छा सार्थक मौन व्यर्थ के श्रवण मधुर छंद से अच्छा निर्धन दानी का उघड़ा उर्वर दु : ख धनी सूम के बंजर धुआं घुटे आनंद से अच्छे अनुभव की भट्ठी में तपे हुए कण , दो कण अंतर्दृष्टि के झूठे नुस्खे रूढ़ि उपलब्धि परायी के प्रकाश से रूप शिव रूप सत्य सृष्टि के ( अरी ओ करुणा प्रभामय ) 4 .