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उच्छिन्न का अर्थ

उच्छिन्न अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. जब वह विद्रोह और विप्लव की बात कहते थे तब भी उसके मूल में यह भावना रहती थी कि वह स्वयं उच्छिन्न नहीं है , कि समाज में उनकी गहरी जड़ें और समाज के गठन में, उसके स्थायित्व में, उनका स्थान है।
  2. यह प्रकृति का कोप है- किन्तु जब अतिचार पर उद्धत मनुज स्वार्थांध होकर लालसाओं के लिये औचित्य को दे मार ठोकर , निराकृत हो रूप धर प्रतिकार हित बन सर्वनाशी सृष्टि के उस पाप को जड़-मूल से उच्छिन्न करतीं . *
  3. उसी की कृपा और भगबदेच्छा से विविध-विपुल सांसारिक आकर्षणों को क्षण भर में ही उच्छिन्न कर पुण्यवती भाग्यवती ओर धनीराम जी के मस्तक का यह चंदन , यह उनके नंदन-विपिन का अनाघ्रात पारिजात पुष्प तुलेन्द्र परिव्राजक हो गया - आत्मनों मोक्षार्थ जगद्विताय च।
  4. कुछ तो जिन घटनाओं की बात वह सोचता है वे इतनी विराट और अद्वितीय रहीं कि उसका यह मान लेना स्वाभाविक है कि वे दोबारा न होंगी और इसलिए वह वंचित ही रह गया; पर उच्छिन्न अनुभव करने का एक दूसरा कारण भी है।
  5. ब्राह्मण चाणक्य तथा चंद्रगुप्त ने राज्य में व्याप्त असंतोष का सहारा ले नंद वंश को उच्छिन्न करने का निश्चय किया अपनी उद्देश्यसिद्धि के निमित्त चाणक्य और चंद्रगुप्त ने एक विशाल विजयवाहिनी का प्रबंध किया ब्राह्मण ग्रंथों में नंदोन्मूलन का श्रेय चाणक्य को दिया गया है।
  6. ब्राह्मण चाणक्य तथा चंद्रगुप्त ने राज्य में व्याप्त असंतोष का सहारा ले नंद वंश को उच्छिन्न करने का निश्चय किया अपनी उद्देश्यसिद्धि के निमित्त चाणक्य और चंद्रगुप्त ने एक विशाल विजयवाहिनी का प्रबंध किया ब्राह्मण ग्रंथों में नंदोन्मूलन का श्रेय चाणक्य को दिया गया है।
  7. ब्राह्मण चाणक्य तथा चंद्रगुप्त ने राज्य में व्याप्त असंतोष का सहारा ले नंद वंश को उच्छिन्न करने का निश्चय किया अपनी उद्देश्यसिद्धि के निमित्त चाणक्य और चंद्रगुप्त ने एक विशाल विजयवाहिनी का प्रबंध किया ब्राह्मण ग्रंथों में नंदोन्मूलन का श्रेय चाणक्य को दिया गया है।
  8. ऐसे गुण - सम्पन्न महात्मा की खोज थी क्योंकि अधिक काल से उच्छिन्न धर्मपीठ का उद्धार करके जनता में धर्मचार्य पीठ को प्रतिष्ठत कर समाज को धर्मोन्मुख बनाना एक महान् कार्य था , जो किसी विशिष्ट दैवीशक्ति - सम्पन्न व्यक्ति के द्वारा ही पूर्ण किया जा सकता था।
  9. जिन महापुरुष के कृपाप्रसाद से लगभग १ ६ ५ वर्ष से उच्छिन्न ज्योतिष्पीठ का पुनरुद्धार हु आ तथा जिनके पवित्र जीवन से धार्मिक जगत में स्वल्प समय के अन्तर्गत महान् आध्यात्मिक उपकार हु आ , हमलोग उनके उदात्त जीवन चरित्र का अध्ययन कर अपने जीवन को सफल बनावें।
  10. शीतल ज्योत्स्ना को धकेल , उतार फेंकेगी सारे मोहक आवरण , उघाड़ कर रख देगी रुक्ष संजाल ! * बिजली मत जलाना आज रात , चौंक कर पलट जायेगी चाँदनी उच्छिन्न कर आनन्द लोक ! डूबे रहें अविरल , रजत प्रवाह में, लय- लीन हो , शरद पूनम
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